विनम्रता दरअसल लोगों को हतोत्साहित करने का एक मोहक उपाय है। "आप महान हैं, मैं तुच्छ हूँ" कहना, ये जानते हुए भी कि सामने वाले की कोई औकात नहीं है, दरअसल वह जैसा है, उसे वैसा ही छोड़ कर आगे बढ़ जाने की कला है। हमारे जितने भी कम प्रतिद्वंद्वी होंगे, हमारा रास्ता उतना ही आसान होगा। अगला अपने को बड़ा समझ कर खुश हो जाएगा और रास्ते से हट जाएगा।
जबकि यदि मैं कहता हूँ, "अबे हट, न आता न जाता, चुनाव चिन्ह छाता।" या "न खाता, न बही, तू जो बोले, सो सही?"
अब क्या होगा? अब पक्का वह आपकी राह में रोड़ा बनेगा। वह आपको कुछ बन के दिखा देगा। वह आपकी राह में प्रतिद्वंद्वी बन कर आ खड़ा होगा।
अपमान से, उसमें महत्वाकांक्षा जाग जाती है। जबकि सम्मान से वह वहीं खत्म हो जाता है। सम्मान न देने से, सम्मान पाने की इच्छा अगले में जाग जाती है और वह सम्मान के लायक बनना चाहता है।
तमाम उदाहरण इस घटना के मिल सकते हैं। 2 उदाहरण पेश हैं:
1. तुलसीदास को उनकी पत्नी ने देह के मोह के प्रति अपमानित किया और उन्होंने रामचरित मानस लिखी।
2. दसरथ राम मांझी को उसकी पत्नी ने मोह के प्रति अपमानित किया और उसने अकेले पहाड़ काट के रास्ता बना दिया।
अगर अपमान न किया जाए तो लोग कभी कामयाब ही नहीं होते। अपमान करने वाले ही किसी महान व्यक्ति के गुरु होते हैं। घमंडी निस्वार्थ भाव से अपमान करके लोगों को महत्वाकांक्षी बनाते हैं। मनोविज्ञान और मोटिवेशनल जगत में इसे रॉकेट के पीछे की आग कहते हैं। जलोगे नहीं तो उड़ोगे नहीं। इसीलिए प्रिंसिपल, बॉस, मालिक खड़ूस होते हैं। अपने घमंडी व्यवहार से वह बाकियों को उकसा कर ऊंचा उठा देते हैं।
जो विनम्र है, वह चालू है। वह चुपचाप सब लड्डू खा लेना चाहता है। सबको वह नीचे रख कर, खुद ऊपर चला जाता है। वह जानता है कि किसी का अपमान करना, उसे उसके सामने लाकर खड़ा कर देगा। जिसे उसे हराने में ऊर्जा खर्च करनी होगी। बेहतर होगा कि किसी को अपने इरादों की भनक लगे बिना ही अपना काम करते जाओ। जो सामने पड़े, सम्मान से, विनम्रता से बोल कर उसे नतमस्तक कर दो, उसे खुश कर दो। वह चला जायेगा।
तो ये विनम्रता केवल और केवल अपने स्वार्थ के लिए है। ताकि कोई दुश्मन न खड़ा हो जाए। घमण्ड में उल्टा बोल के हम अपने दुश्मन बना लेते हैं और वे हमसे बेहतर निकल जाएंगे तो हमे पीछे छोड़ देंगे। इसीलिए घमंड खुद के लिए घातक है। लेकिन यही घमण्ड अपमान सहने पर आपको महत्वकांक्षी बना कर सर्वोच्च भी बना देता है।
साधारण विनम्र मानव तो मरा हुआ होता है। उसे कितना भी अपमानित कर लो, उसका खून नहीं खौलता। वह बस नौकर अच्छा बनता है। मालिक तो कभी बन ही नहीं सकता।
तो क्या सीखा? सामने वाले की विनम्रता, आपको कमज़ोर करती है और सामने वाले का घमंड आपको मजबूत बनाता है। अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा है तो किसी घमंडी के साथ लग जाओ। 😝 ~ Shubhabshu 2020© 2020/06/01 21:22
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