जब भी कोई पुरुष या महिला आपको कपड़ों को लेकर टोकता/ती है तो उसके 2 मतलब होते हैं:
1. अगर मैं (पुरुष) उत्तेजित हो गया तो तेरा यहीं बलात्कार कर दूंगा और इसमें तेरी ही गलती होगी।
2. अगर किसी पुरुष ने उत्तेजित होकर तेरा बलात्कार कर दिया तो इसमें तेरी ही गलती होगी। उसकी नहीं।
अब सोचो, ये खुले आम पुरुष प्रधान समाज की धमकी है कि उसे सजा का कोई डर नहीं है। उसे अगर मन किया तो वह किसी भी महिला को सड़क पर गिरा के *ध सकता है और अगर उसने विरोध किया तो जला कर मार भी सकता है। ये खुली गुंडई है और जो महिलाएं उनका साथ देती हैं, वे उन पुरुषों के ऊपर निर्भर हैं, इसलिये उन्हीं का साथ देती हैं। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020©
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