Zahar Bujha Satya

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बुधवार, जून 24, 2020

Communism is a false propaganda, it's not possible completely



100% कोई भी समाज, आर्थिक रूप से बराबर नहीं हो सकता। कोई न कोई तो अधिक आर्थिक संपन्न होगा, तभी कमाई सम्भव है। जितने भी कम्युनिस्ट कम्युनिज़्म को बराबरी का उपाय बताते हैं वे झूठे हैं। बराबरी होने पर सभी कार्य रुक जाएंगे। जैसे, मजदूर, मजदूर के यहाँ नौकरी नहीं करेगा।

सब पर समान मात्रा में धन होगा तो वह खर्च करते ही असमान हो जाएगा। धन नहीं होगा तो हम वापस पाषाण काल में पहुंच जाएंगे और आदिवासी जीवन जीने लगेंगे।

क्या हम वापस आदिवासी बनना चाहते हैं? उधर भी मुखिया होता है जो साबित करता है कि कोई बराबर नहीं हो सकता। सब अपनी योग्यता से अपना स्थान पाते हैं।

सबके लिये अवसर समान हैं लेकिन किसी से धन सम्पत्ति लेकर (छीन कर) किसी फिजूलखर्ची को देना और बदले में उसी मूल्य का देनदार को कुछ न देना लूट है और इस तरह की बराबरी से सब आधुनिक समाज नष्ट हो जाएगा।

कम्युनिस्ट देश की करेंसी होने का अर्थ है कि वह देश कम्युनिस्ट नहीं है बल्कि उसकी आड़ में देशवासियों का शोषण कर रहा है। ताकि वह विश्वगुरु लग सके। घमंड ही इसकी बुनियाद है। इसीलिए इनका तानाशाह खुद को ईश्वर समझता है। ~ Shubhanshu 2020©

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