- इंसान खुद को जानवरों से श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- पुरुष खुद को महिला से श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- ब्राह्मण बाकी सब से खुद को श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- गोरा काले से खुद को श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- बड़ा छोटे से खुद को श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- अमीर गरीब से खुद को श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- धार्मिक दूसरे धार्मिक से खुद को श्रेष्ठ समझता है। हिंसा करता है।
- विपरीत सोच के देश, बाकी देशों से खुद को श्रेष्ठ समझते हैं। हिंसा करते हैं।
- बुद्धिमान मूर्ख से खुद को श्रेष्ठ समझते हैं। दूर चले जाते हैं।
- ज्ञानी अज्ञानी से खुद को श्रेष्ठ समझते हैं। वाक युद्ध करते हैं।
ये श्रेष्ठ समझना ही दरअसल सभी तरह की हिंसाओं की जड़ है। जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जो उसे पसंद नहीं, उससे दूरी बना लेता है और यही श्रेष्ठ होना है। हिंसा करना नहीं। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020©
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