PM: lockdown में सबकी गांड फट गई होगी। बोलो, फण्ड में से कितना राशन भेज दूँ?
जनता: दारू-दारू-दारू!
PM: गलत बात! 70% टैक्स लगा दूँगा। मत पीना।
जनता: दारू-दारू-दारू, देता है या गांड फाड़ दूँ?
PM: तुमने रामायण मांगी, दे दी, महाभारत मांगी, दे दी, श्री कृष्णा मांगा, दे दिया। अब ले लो दारू भी ले लो। हमें लगा अनाज चाहिए, इसलिये फंड में दान मांगा।
चलो तुम टैक्स देने पर आमादा हो, तो टैक्स ही दे दो! मैं तो उसी दिन समझ गया था कि तुम सब मूर्ख हो, जिस दिन मैंने ताली-थाली-दीवाली की बात कही और तुम फट से मान गए। जितना कहा, उससे ज्यादा किया।
भारत माता की कसम, जब से PM बना हूँ, तब से देख रहा हूँ। मैं तो चाय बेचता था। कम पढा-लिखा था। इसलिये मूर्खतापन्ति करता हूँ। लेकिन तुम तो एक से बढ़कर एक धुरंधर हो। फिर काहे मूर्खतापन्ति करते हो?
इस साल की शुरुआत से ही, पूरी दुनिया में बर्बादी के दिन शुरू हो गए। जो इस देश में हजार साल में नहीं हुआ वो इस साल हो गया। बहुत बुरा समय है। अर्थव्यवस्था का नाश हो गया। पहली बार इतने समय तक देश घरों में बन्द रहा। अघोषित इमरजेंसी लगानी पड़ गई।
कामगार मजदूरों पर असर पड़ा। उद्द्योग धंधे चौपट हो गए। सरकार पर बिना काम के वेतन देने का अतिरिक्त दबाव पड़ा। देश 10 साल पीछे चला गया। पूरी दुनिया 10 साल पीछे चली गई। फिर भी मैं इस छोटे से दिमाग से जो भी बन पड़ रहा है, अपने एक्सपर्ट सलाहकारों से जाँच करवा कर कर रहा हूँ।
उधर कांग्रेस गांड मार रही है, तो दूसरी तरफ कम्युनिस्ट पार्टी हथोड़ा और हंसिया दिखा रही है। लगी पड़ी है। अरे इस कठोर समय में तो राजनिति न करो। ऐसा तुम्हारी सरकार के साथ भी हो सकता था। अफवाहें उड़ा कर मरे को क्यों मांर रहे हो।
अनपढ़ नागरिक परेशान है, उसे पता भी नहीं कि हो क्या रहा है? उसे समझाने की जगह, भड़काया जा रहा है। उकसाया जा रहा है। ये तक कह दिया कि कोरोना मैंने फैला दिया है। अरे निर्लज्जों, चीन में कोरोना मैंने फैला दिया? अमेरिका में मैंने फैला दिया? अरे मैं तो अभी भला चंगा हूँ, मुझे ही कोरोना है, बता दिया कमीनो। अभी ज़िंदा हूँ मैं।
राज्यों में फिर से मजदूर काम पर लौट सकें इसलिये मजदूर एक्ट में अस्थायी संशोधन की ज़रूरत पड़ी। हमने कहा कि मजदूर काम पर लौट आये। उनकी और उनके ऊपर निर्भर व्यापारों की हालत सुधरे। राज्य सरकारों ने उसे सुना। उनको अपनाया। अब मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग में रहकर भी काम कर सेकेंगे।
ज्यादा काम करना चाहें तो ओवर टाइम ले सकते हैं। कोई जबर्दस्ती नहीं है। अपनी सहूलियत से कार्य करें। कोई आपको तंग करे तो शिकायत कीजिये। सुरक्षा के सारे नियम पूर्ववत हैं। किसी का हक नहीं मारा जाएगा। हंगामे से दूर रहें। आपके भले के लिये ही होगा। सब काम आपके लिए ही कर रहा हूँ। आपका ही सेवक हूँ।
बस धैर्य रखिये। भड़काऊ नेताओं से दूर रहिये। वो आपके खून पर अपना गुजारा करते हैं। आपके घर जला कर रोटी सेकेंगे। मैंने भी सेंकी थीं। गुजरात दंगे याद हैं? करवाने पड़े। क्या करता, सीट बचानी थी। हो गयी गलती। बहक गए कदम। बहका दिया राजनीती ने मुझे। लेकिन अब नहीं। अब बस। बहुत खून बह गया। बहुत लाशें बिछ गईं। मैं बूढ़ा हो गया। अब राजनीति नहीं होती। दलदल है ये। फंस जाते हैं अच्छे-अच्छे। कितना भी अच्छा कर लो। फेकू ही कहलाता हूँ। नहीं होता अब। पहले भी कहा था कि कह दो एक बार, कह दो एक बार कि नहीं चाहिए मोदी। मेरा क्या है? झोला लेकर चला जाऊँगा। इस पर भी राजनीति हो गई।
कहा गया कि झोले में क्या ले जाओगे? अरे झोले में मैं लोढ़ा ले जाऊँगा भोसड़ी वालों। अरे झोले में एक फकीर क्या ले जाता है? वही एक जोड़ी कपड़े, तेल, साबुन, आटा, दाल, नमक, और हो सका तो 2-3 आलू प्याज टमाटर भी। अब इसको भी नहीं ले जाने दोगे तो डाल लो अपनी गांड में। मैं फिर कहीं से पैदा कर लूंगा। अभी दम है हाथों में। कहीं मजदूरी कर लूंगा। चाय बेच लूंगा। लेकिन जनता का पैसा लेकर ऐश नहीं करूंगा। जनता का पैसा लेकर ऐश नहीं करूंगा। जय हिंद देशवासियों! 👍 ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
Disclaimer: व्यंग्य। केवल मनोरंजन हेतु। इसका किसी असली जीवित व्यक्ति से सम्बंध नहीं है।