साम्यवाद कहता है कि सबको केवल बेसिक सुविधाएँ दी जाएं। यानि सादा संतुलित भोजन, मौसम से बचाने हेतु सस्ते वस्त्र और काम चलाऊ आवास।
जिनके पास ये सब है, वो खुद को नितांत गरीब बोलते हैं। साम्यवाद का अर्थ है सब पर बराबर संसाधन हों। इसलिये सब जनसंख्या के हिसाब से बंटेगा और उसकी कीमत तानाशाह की फैक्टरियों में जी तोड़ श्रम करके चुकानी पड़ेगी। तभी भोजन और भत्ता मिलेगा। तानाशाह अमीर होता जाएगा। जनता गरीब रहेगी।
अब तानाशाह शाही जीवन जिये और जनता मजदूरी करके आधारभूत सुविधाओं के साथ बस ज़िंदा रहे। जनसंख्या पर रोक लगा दी जाएगी एक दिन बिना बताये, अचानक। तब पकड़ के नसबंदी करी जाएगी क्योंकि संसाधन सीमित हैं। अभी हेलमेट/सीटबेल्ट के बिना सिर्फ जुर्माना देते हो, तब सीधे गोली मार दी जाएगी। अभी सरकार सख्ती करती है तो तानाशाह कहते हो। जब सच में तानाशाही होगी तो कहने लायक ही न छोड़ा जाएगा।
जियोगे, लेकिन जैसे देश ही एक जेल हो। अंग्रेजी गुलामी याद है न? बस वही है साम्यवाद। इसे दंगों से ही लाया जाता है। लूटपाट और हत्याकांड से संसद भवन पर कब्जा कर लिया जाता है। सेना को गोरिल्ला युद्ध में धोखे से मार डाला जाता है। जो डरपोक होते हैं उनको अपना गुलाम बना लिया जाता है। इस तरह अपने ही देश की सरकार, पुलिस और कानून से नफरत पैदा करवा कर दंगे करके मानवाधिकार की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं और देश को खुद ही बर्बाद करके उस पर तानाशाही लागू कर दी जाती है।
जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने अपने ही देश पर चढ़ाई करके सरकार हथिया ली थी और पाकिस्तान का तानशाह बना था। उसे फांसी हुई। सद्दाम हुसैन, गद्दाफी भी यही करके मारे गए। भविष्य में और नाम जुड़े तो कोई हैरानी नहीं होगी।
परन्तु हर भोला साम्यवादी चाहता है कि अमीरों की तरह 7 स्टार होटलों में रहूँ, हवाई यात्रा से विदेश घूमूं। बेचारे का सपना कभी पूरा नहीं होगा। अगर हुआ तो वह साम्यवादी नहीं रहेगा। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2020©
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