Zahar Bujha Satya

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शुक्रवार, मई 01, 2020

Will the problem be solved or escalated by civil war?




दँगा करने के लिये, किसान, मजदूर, दलित, गरीब, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध आदि अशिक्षित लोगों को तुष्ट करके शेष जनसंख्या को मारने के लिये प्रेरित करना ही भारतीय कम्युनिस्ट का सपना है।

देश को आर्थिक हानि पहुँचा कर इसे कमज़ोर और असहाय करना होता है। इसके लिये पूँजी/धन के प्रति नफरत भरना ज़रूरी है। ये कार्य कार्लमार्क्स को आगे करके किया जाता है। इसलिये सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान करना प्रमुख मकसद रहता है। इससे रूस, चीन और पाकिस्तान से मिल कर आसानी से भारत पर कब्जा कर लेंगे।

बाबा साहब और कार्लमार्क्स एकदूसरे के वैचारिक दुश्मन थे। (पढ़िये कार्लमार्क्स और बुद्ध, राष्ट्र दर्शन, बाबा साहेब के भाषण) ये बात न तो दलितों को पता है और न ही कम्युनिस्टों को। कारण है अशिक्षा और अंधभक्ति। कुछ धूर्त नेता दोनो प्रसिद्ध व्यक्तियों को आगे रख कर दलितों, मुस्लिमों आदि को और किसान/मजदूरों को लुभा रहे हैं। भावनात्मक ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं।

बाबा साहेब लोकतंत्र के समर्थक थे तो कार्लमार्क्स तानाशाही के। दोनो एक-दूसरे के जानी दुश्मन। लेकिन भोला, गरीब, अशिक्षित इंसान इनको कहाँ से पढ़ेगा? हिंदी में बाबा साहब की 17वी पुस्तक से बाबा साहब का जय भीम पत्रिका में छपा जय भीम और जयंती के खिलाफ लिखा आलेख हटा दिया जाता है। (जबकि वह मूल संस्करण इंग्लिश में 17वी पुस्तक के दूसरे भाग में पेज 83 पर है) ताकि बाबा साहब को भी एक तानाशाह के रूप में दर्शाया जा सके। चीन में जिस तरह से तानशाह ज़ी शिनपिंग की पूजा होती है, वैसे ही भारत में भी बाबा साहब की पूजा होती है। जो कि बाबा साहब को बहुत ही अपमान जनक लगा था।

लेकिन गृहयुद्ध करके देश को भीतर से खोखला करने वाले विदेशी एजेंट जानते हैं कि भारत का अधिकतम नागरिक भोला और अशिक्षा का शिकार है। उनको उतना ही बताओ जिससे वह देश के खिलाफ़ हो जाये। झूठी खबरें बनाओ ताकि लगे कि नागरिक भूख से मर रहे हैं। आदिवासियों के बच्चों और महिलाओं को सेना की लूटी हुई वर्दियों को पहन के मारो, बलात्कार करो और फिर कपड़े उतार कर खुद आदिवासी बन जाओ और अपने कबीले को उकसा कर और नए आतंकी बनाओ।

आदिवासी, दलित, मुसलमान, बौद्ध, सिख, ईसाई, किसान, मजदूर जैसे अशिक्षित समाज को शिक्षित नागरिकों के खिलाफ भड़का कर देश को आर्थिक रूप से क्षतिग्रस्त किया जा सकता है। जनसंख्या कम करने की बात इन विदेशी एजेंटों को नागवार गुजरती है क्योंकि कम जनसंख्या ही तो समस्या का समाधान है। समस्या का समाधान हो गया तो रूस, पाक और चीन कब्जा किसपे करेंगे? जनसंख्या बढाने को कहा जाए तो ही तो इन गरीबों को और गरीब, अशिक्षित और असंतुष्ट बनाया जा सकता है। तभी तो दंगे के लिये नये सैनिक मिलेंगे।

बाह्मण समाज के लोग ये बात जान गए थे कि भविष्य में उनके प्रति असंतोष का माहौल बनेगा इसलिए उन्होंने पहले ही भारत में एक अलग तरह का साम्यवाद लाने की सोची। भारत में साम्यवाद लाने वाला एक ब्राह्मण ही था और आज ये अजीबोगरीब साम्यवाद ब्राह्मणों में ही सबसे अधिक मिल रहा है। सोचो, ब्राह्मण और नास्तिक साम्यवादी? फिर धार्मिक पूँजीवादी कौन है? 😊😘 ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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