मजदूरी हर कार्य के लिए किया गया श्रम होता है। हर कोई श्रमिक है, परंतु जो अधिक श्रम करता है, वही आमतौर पर श्रमिक कहलाता है। अधिक श्रम तभी हो सकता है जब आवश्यक tool न हों। टूल देकर समान दर्जा दिया जाय मजदूरों को, बाकी व्यवसाय की तरह।
इस तरह समान न्यूनतम वेतनमान निर्धारित किया जाए जिससे कम देना अपराध हो। परन्तु ऐसा भी नहीं है कि अकुशल मजदूर को समान वेतन मिलेगा। कुशल मजदूर ही समान वेतनमान का अधिकारी होगा। काम खराब करने पर उसका कोई मूल्य नहीं दिया जा सकता।
मजदूरों की पूरी ट्रेनिंग होनी चाहिए। ट्रेन्ड मजदूरों को ही सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा। बिना प्रशिक्षण प्राप्त मजदूर भी परीक्षा देकर व उत्तीर्ण होकर कुशल होने का प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हों। ऐसी व्यवस्था हो।
न्यूनतम आय के बाद, प्रति व्यक्ति उत्पादकता बढ़ने पर वेतनमान का बढ़ना भी स्वाभाविक होगा। जैसे एक व्यक्ति अगर 10 लोगों के बराबर उत्पादन करता है (बुद्धि, योजना, उपाय, आविष्कार आदि से) तो उसे 10 लोगों के बराबर वेतनमान दिया जाना चाहिए। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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