Zahar Bujha Satya

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रविवार, मई 03, 2020

Food and Help: Universal tools to spread religions



खालिस्तान बनाने के लिये ज्यादा से ज्यादा सिख बनाने का अभियान चलता है। लंगर उसी का एजेंडा है। फंडिंग विदेशी करते हैं। अभी जनसंख्या कम है तो शांत रहते हैं। पंजाब में जो किया वो आप पता कर के देखो। इंदिरा गांधी को इन्होंने ही मार दिया था।

सिख इस समय 4थे स्थान पर हैं इसलिये इनकी नफ़रत उसी के अनुपात में जिसके साथ खड़े होते हैं, उसके पक्ष में पैदा हो जाती है। जैसे मुझे सिख जब मिलते हैं तो मुझे हिन्दू समझ कर मिलते हैं। मिलते ही मुस्लिम की बुराई शुरू कर देते हैं। जबकि सिख और इस्लाम करीब-करीब रहने वाले धर्म रहे हैं। पाकिस्तान की लगभग 60% आबादी पंजाबी बोलती है। भारत में सिख और मुस्लिम साथ-साथ पले-बढ़े हैं।

परन्तु आज इस्लाम 2सरे स्थान पर सिख 4थे स्थान पर क्यों हैं? इस धार्मिक रेस में पीछे होने पर अब पहले स्थान वाले को पटाना आवश्यक हो जाता है कि उसके साथ मिल कर दूसरे स्थान वाले को खत्म कर दिया जाए। ऐसा करके प्रथम तो हिंदू सिख को पसन्द करने लगेगा फिर दोनों मिल कर इस्लाम को मिटाने पर जुट जाएंगे।

अब पहले यारी करके फिर उसी को काटा भी जाना है तो क्या करेंगे? इसके लिये गरीबों को चुना जाता है। गरीबों का धर्म है रोटी। उनके धर्म को उनको दो और वो किसी की भी तूती बजाने लगेंगे। लंगर खिलाना धर्म को फैलाने का सबसे आसान तरीका है। कुत्ते को वफादार बनाना है तो उसे रोटी डालो। यह सब जानते है और यही बात इंसान पर भी लागू होती है।

जिस तरह शिरडी में साई धर्म को फैलाने के लिये 10₹ में शाही भोजन उपलब्ध है वैसे ही स्वर्णमंदिर में भी सबसे बड़ी रसोई लगती है। सबसे ज्यादा भीड़ जिनकी होती है उनमें गरीब हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा होती है। लंगर स्थल पर जाते ही आपको धार्मिक बनाया जाने लगता है। देखा जाता है कि आप उनकी गुलामी करते हो या नहीं? आपको सिर ढकने की तानाशाही बात माननी ही होगी, अन्यथा आपके लिये रास्ते बंद हैं।

जिसका नमक खाओगे उसी के होकर रह जाओगे। देर-सवेर सिख बन ही जाओगे। शूरुआत सिखों की तारीफ करके होगी। जगह जगह पगड़ी पहने सिख लंगर लगाते, शरबत पिलाते दिखते हैं। उनकी फोटो/वीडियो सोशल मीडिया पर डालोगे। उनकी तारीफ करोगे। सेना में उनकी बहादुरी के किस्से सुनाओगे जबकि सैनिक का सिर्फ एक ही धर्म होता है, देश की रक्षा। कोई धर्म उनको दूसरे सैनिक से अलग नहीं बनाता।

सिख बहुत पैसा कमाते हैं ऐसा दिखता है। अमेरिका में भारत से सबसे ज्यादा सिख ही गए हैं जबकि कहानी का पेच खुलता है इनके दहेज की मांग से। हर दूसरे सिख का बेटा NRI निकलता है। जबकि उसका बाप मामूली किसान है। ऐसा कैसे? दरअसल सिख दहेज में लाखों करोड़ों रूपये मांगते हैं। उस रकम से अपने लड़कों को विदेश भेजते हैं। सिख, अपने ही धर्म में अपनी लड़की का विवाह करते हैं जबकि दूसरे धर्म से लड़की लानी हो तो बिना दहेज के भी ले आएंगे।

विदेश में खालसा पंथ की स्थापना के लिये दुआ की जाती है। झंडा फहराया जाता है। विदेश में भारत को खालिस्तान बनाने के लिये कई संस्थाओं ने बीड़ा उठाया है। उनका सारा ध्यान हिन्दू आबादी को जल्द से जल्द सिख बनाने पर टिका है। भारी फंडिंग उधर से होती है जिससे गुरुद्वारे कभी खाली नहीं होते। सुबूत के लिये आप गूगल कर सकते हैं कि कैसे विदेशों से भारत में खालिस्तान बनाने की मुहिम चल रही है।

ऐसे ही जब मैं मुस्लिमों के साथ खड़ा होता हूँ तो मुस्लिम किसी की साफ शब्दों में बुराई न करके, अपने धर्मस्थलों पर घुमाने ले जाने की बात करने लगते हैं जैसे किसी दरगाह आदि पर। कारण है इस्लाम में दूसरे धर्म की बुराई करना मना है। सीधे उड़ा दो सालों को। ऐसा समझा जाता है। अपने धर्म में आ जाये तो स्वागत है। खूब आवभगत होगी।

ईसाई से मिलता हूँ तो बेचारे ज्यादा नहीं बोलते लेकिन जल्द से जल्द चर्च में बुलाएंगे। घर जाओगे तो खूब खातिरदारी होगी।

जब भी कोई अल्पसंख्यक धर्म का व्यक्ति दूसरे बहुसंख्यक धर्म के व्यक्ति से अच्छा व्यवहार करता है तो उसका मकसद होता है अगले को अपने धर्म में खींचना। इसाई मिशनरी खुल कर सामने आते थे तो वे बदनाम हो गए। तब से बाकी धर्मों के मिशनरी गुप्त एजेंडे के तहत कार्य करते हैं।

यदि दूसरे धर्म की एक महिला अपने धर्म में खींच ली जाए तो उस धर्म की एक पूरी पीढ़ी सिख/ईसाई/मुसलमान/हिन्दू आदि बनेगी और दूसरे धर्म में उतनी आबादी कम होकर सिखों/ईसाईयों/मुसलमानों/हिंदुओं आदि में जुड़ जाएंगी। इस तरह बहुसंख्यक धर्म बनते ही अलग देश की मांग करने के हक मिल जायेंगें।

अगर आप इतने सीधे हैं कि किसी धर्म को पसन्द करने लगे हैं तो यह आपकी गलती नहीं है। ये प्लान ही पढ़े लिखे धार्मिकों के हैं जो मनोविज्ञान पर आधारित हैं। औसत बुद्धि के लोग इसको समझ नहीं सकते और जाल में फंस जाते हैं। लेकिन धर्मजातिमुक्त बुद्धिवादी सब समझ जाते हैं। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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