शुभ: 1. इंसान की जनसंख्या बढ़ रही है या पशुओं की विलुप्त हो रही है? सेंचुरी और रिजर्व का मतलब पता है आपको? जानवरो को संरक्षण दिया जा रहा है इतनी ज़मीन को इंसान रहित करके। क्यों भैया?
2. जानवरों की संख्या बढ़ रही तो ऐसे कह रहे जैसे जंगल से पकड़ कर खाते हो। दरअसल बात खाने तक सीमित नहीं है। आपका धंधा है, सींग, खाल, कस्तूरी आदि अंगों का उनके। उसी तरह आपका धंधा है फार्म बना कर जानवरों की खेती करना। उनकी संख्या खेती करके बढ़ाते हो और फिर उत्पाद की तरह पेश करते हो। अगर संख्या का मुद्दा होता तो उनको फार्मिंग करके पशुपालन न हो रहा होता।
◆ मछली पालन
◆ दुधारू पशुपांलन
◆ मुर्गी/कुक्कुट पांलन
◆ सुअर पांलन
◆ बकरा पालन
◆ मधुमक्खी पालन
◆ लाख कीट पांलन
◆ रेशम कीट पांलन
◆ सीप (मोती) पांलन
आदि आपके धंधे चल रहे हैं। इनसे आपको पैसा मिलता है दुनिया को उल्लू बना कर। व्यापक स्तर पर वैज्ञानिक, इनकी संख्या बढ़ाने के लिए कृत्रिम प्रजनन तक कर रहे, जीन इंजीनियरिंग कर रहे, सब पैसे के लिए। कोई संख्या नहीं बढ़ रही जिसे वे कम कर रहे। उल्टे शिकारियों ने अभ्यारण्य और रिज़र्व में घुस कर विलुप्त प्रायः जन्तुओं को भी मारना चालू रखा है। (सलमान खान और काला हिरण केस) रिश्वत देकर वन्य विभाग से बचे खुचे मांसाहारी जानवर छुड़वा दिए जाते हैं गांव में ताकि ग्रामीण उनको मार डालें और उनकी खाल चुराई जा सके। सब स्वाद और धन का मामला है, सेहत का कतई नहीं। ह्रदय का दौरा, कैंसर, पथरी, मधुमेह आदि सब मांस की देन है।
अगर जनसंख्या की इतनी चिंता है तो जो बढ़ रही है उसे मारो-खाओ। कानून खत्म करो। धारा हटाओ कत्ल की। "खाने के लिए मानव हत्या" अधिकार बनाओ। जब vegan पशु के स्थान पर वनस्पति चुनते हैं तो कहते हो कि वनस्पति और जंतु में भेदभाव कर रहे। फिर आप भी तो इंसान और पशुओं में भेद भाव कर रहे हो? वाह भई, इंसांनो के लिए कानून है जानवरों के लिए कानून भी ढंग के नहीं? हलाल करने पर अगर जानवर को कष्ट नहीं होता और कानून मानता है तो आप भी इधर आइयेगा आपको हलाल करके दावत की जाएगी। कानून से आप ही लड़ो, जो हमें रोके तो। हम तो जो सही है वही करेंगे। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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