आदिवासियों को भड़काना बेहद आसान है। वे अनपढ़ हैं, अतः उनको केवल पुरानी बातें ही समझ आती हैं। भूमाफिया दरअसल नक्सलियों को हाइजैक कर चुके हैं और उनके ज़रिए आदिवासी समुदाय को खत्म कर रहे हैं। ये कथित नक्सली दरअसल भारतीय सेना की वर्दी पहन कर आदिवासियों को ही मारते हैं व उनकी महिलाओं से बलात्कार करते हैं।
इनसे बचाने के लिए ही सरकार ने सुरक्षा बलों को आदिवासियों के बीच भेजा और उनको वहां से निकाला ताकि वे भूमाफियाओं द्वारा मारे न जाएं। संसाधनों पर अवैध कब्जा न हो इसके लिए सरकार ने आदिवासियों का पुनर्वास करवाया और उनको पहले से बेहतर रहने का स्थान दिया। इससे वे मुख्य धारा में भी आ गए और सरकार को आर्थिक मदद भी मिल गयी जो देश हित में सबके काम आएगी। वैध खनन के लिए सरकार टेंडर प्रकाशित करती है जो कि सक्षम पूंजीपति स्वीकार करते हैं और सरकार से करार करके आर्थिक मदद प्रदान करते हैं। इससे देश का विकास करना सम्भव हो जाता है। जिन वनों को काटा जाता है उनको दरअसल वृक्षारोपण द्वारा स्थान्तरित कर दिया जाता है अन्य स्थान पर, जहां मानव आबादी कम होती है। इस व्यवस्था की ज़िम्मेदारी पर्यावरण मंत्रालय लेता है।
कथित नक्सली हमलों में भारतीय सैनिकों को गोरिल्ला युद्ध में धोखे से सोते समय मार दिया जाता है। उनकी वर्दियो को ये चुरा लेते हैं और इसी वर्दी से सारा इल्जाम सेना पर लगता है। केवल इस सेना के अपमान से ही त्रस्त आकर एक अफसर ने कुछ आदिवासियों के घर जलाए थे इसकी जांच अभी न्यायालय में चल रही है। बाकी सब के सुबूत मैंने पोस्ट कर रखे हैं ज़हरबुझा सत्य पेज पर समाचार के लिंक के रूप में।
चारु मजूमदार का शुरू किया गया नक्सली आंदोलन उनकी आत्महत्या के साथ ही खत्म हो गया था। अपने आंदोलन का लुटेरा और भाड़े का हत्यारा वाला रूप देख कर इन्होंने आत्महत्या कर ली थी। संदर्भ: विकिपीडिया
इस समय जो लोग सैनिकों और आदिवासियों, दोनो को मार रहे हैं, वे दरअसल भूमाफिया द्वारा दिये गए हथियारों से लैस हैं। गलतफहमी और भ्रम फैलाने का यह नियम माओवाद के सीक्रेट डॉक्यूमेंट में दिया गया है। इसके अनुसार सरकार के प्रति इतनी गलतफहमी और नफरत पैदा कर दो कि निचले स्तर का हर मजदूर/व्यक्ति हथियार की मांग करे। यथास्थिति उनके बच्चों को मार देना या बच्चों के माता पिता को मार देना। और इल्जाम सरकार पर लगाना ताकि बदला लेने के लिये उनके रिश्तेदार तैयार हो जाएं। उनको हथियार देने का सही समय यही होगा।
उनको अकुशल रहने देना। ताकि सेना के सामने वे ज्यादा देर टिक न सकें। इससे सेना पर बच्चों को मारने का आरोप आ जायेगा। जब हथियार सहित सरकार उनके फ़ोटो प्रकाशित करे तो उस बात को अपने पक्ष में करना। ये कह कर कि आदिवासी बच्चों को मार कर सरकार ने हथियार उनके साथ रख दिये। जबकि सरकार तो तटस्थ होती है फिर भी जिंनके घर वाले मारे गए वे सिर्फ तुम्हे अपना हमदर्द समझेंगे।
इसी रणनीति से हम सभी संपत्तियों (जल, जंगल, ज़मीन) पर कब्जा कर लेंगे। वैसे ही जैसे रूस की क्रांति में किया गया था। बिना कत्ल किये किसी की सम्पत्ति हथियाना सम्भव नहीं है। क्रांति हिंसा से ही आ सकती है ये नारा दरअसल हमारे फायदे के लिये बनाया गया है। ऐसा करके ही हम लोगों की संख्या कम करेंगे और संसाधनों पर कब्जा करके सुखी जीवन जिएंगे। जो सपना उनको दिखाया जाएगा वो सिर्फ मृगमरीचिका ही है। फायदा सिर्फ हम भूमाफिया को है।
उपरोक्त निष्कर्ष इंटरनेट पर मौजूद माओवादी गुप्त डॉक्यूमेंट के आधार पर निकला है। इसमें लेखक का व्यक्तिगत विश्लेषण भी शामिल हैं। अधिक जानकारी हेतु स्वयं इस डॉक्यूमेंट को पढ़ें। (केवल इंग्लिश) ~ Shubhanshu धर्ममुक्त 2019©
डिस्क्लेमर: लेखक के व्यक्तिगत विचार। कृपया अपने विवेक का प्रयोग करें। धन्यवाद।