Zahar Bujha Satya

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रविवार, अगस्त 04, 2019

सोचिये आखिर क्यों? ~ Shubhanshu


रिहायशी ज़मीन में कोई पेड़ नहीं लगाने देता। ज़मीन खाली रखी जाती है। 1 इंसान विवाह करके अपनी पीढ़ी पैदा करता है और कई किलोमीटर ज़मीन को पेड़ों से रहित कर देता है। उसे घास की खेती करनी है, जानवर चराने हैं, बड़ा घर चाहिए ताकि पोते-पोती भी रह लें उधर ही। ऑफिस/फैक्टरी/शो रूम के लिए बड़ा ज़मीन का टुकड़ा चाहिए। उस पर भी पेड़ सिर्फ सजावटी लगायेगा क्योंकि फलों को तोड़ने के लिए लोग और जानवर चले आते हैं।

1 लड़का जो विवाह करता है, और एक लडकी जो बच्चा पैदा करती है, जानवरों और पेड़ों की कई पीढ़ियों को खत्म कर देती है। वे तो हमें ऑक्सीजन और पेड़ों को खाद व बीजों का प्रकीर्णन दे रहे हैं। हम इस प्रकृति को क्या दे रहे हैं? सिर्फ नफरत और विध्वंस।

फिर न कहना कि सर्दी ज्यादा क्यों? गर्मी ज्यादा क्यों? बरसात कम क्यों? सूखा क्यों? चक्रवात क्यों? भूकम्प क्यों? बाढ़ क्यों? गरीबी क्यों? अशिक्षा क्यों? बेरोजगारी क्यों? भूखे लोग क्यों? अपराध क्यों? लिंगानुपात में असंतुलन क्यों? भ्रूण हत्या क्यों? विवाह से नफरत क्यों? बच्चों के पैदा होने से नफ़रत क्यों? Veganism क्यों? और ये ज़हरबुझा सत्य क्यों? सोचो, आखिर क्यों? ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©

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