आइंस्टीन ने सामाजिक दबाव में आकर एक साम्यवादी पत्र लिखा जबकि उनकी विचारधारा में विरोधी बातें थीं जैसे मैं सिर्फ अपने कार्य में माहिर हूँ मुझसे कोई और कार्य कराया गया तो मैं एकदम नकारा हूँ। एक मछली पेड़ पर नहीं चढ़ सकती और एक चिड़िया पानी में सांस नहीं ले सकती। इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति, हर काम नहीं कर सकता। जो जिस कार्य को करने हेतु बना है सिर्फ वही कर सकता है।
कुछ अपवाद हैं जो कि अच्छे म्यूटेशन से बने लोग हैं। वे कई कार्य कर सकते हैं, जैसे लियोनार्डो नास्तिक, चित्रकार, वैज्ञानिक, आविष्कारक, मानव शरीर विज्ञानी, लेखक आदि तमाम प्रतिभाओं के धनी थे। मैं भी ऐसे कई काम करने में माहिर हूँ।
इस तरह के लोगों को प्रायः जैक ऑफ आल थिंग्स कहा जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में इसे आल राउंडर होना कहा जाता है। ऐसे लोग वाकई कीमती होते हैं। इनको कहीं भी छोड़ दीजिए। वे सफलतापूर्वक कार्य करके निकल आएंगे।
लेकिन एक बात ध्यान रखने योग्य है कि मल्टीटेलेंटेड लोग यदि मेहनत वाले कार्य जैसे व्यायाम, आउटडोर खेल, नृत्य, मार्शल आर्ट या मेहनत वाला कोई भी कार्य करने से कतराते हैं तो उनको उनसे दूर ही रखना चाहिए, अन्यथा उनकी सारी प्रतिभा नष्ट हो सकती है। यदि वे खुद सीखने की ठान लेते हैं तो, और यदि वे मेहनत करना चाहें, तो ही उनसे कार्य लिया जा सकता है जिसमें उनके कार्यकुशल होने की कोई गारंटी नहीं होगी क्योंकि उसका मस्तिष्क और भी आगे की सोच रहा होता है। तभी वे मेहनत को अपने अविष्कारों से करवाते हैं।
जो इस सत्य को स्वीकार नहीं करेगा। समय आने पर अपने आप मरेगा क्योंकि तीव्र बुद्धि के लोग अन्यायपूर्ण कार्य के बहुत ही बड़े प्रतिरोधक होते हैं। (फ़िल्म सीरीज देखें, Divergent) वे मूर्ख होने का नाटक भी कर सकते हैं और अपने से अधिक बुद्धिमान की नकल भी उतार सकते हैं। वे चाहें तो इस पृथ्वी को फिर से सुखमय बना सकते हैं और अगर उनको तंग किया गया तो चूंकि वे वैसे भी मूर्ख लोगों से तंग होते हैं, गुस्से में पूरी मानव जाति ही नष्ट कर सकते हैं।
वे चाहें तो अपनी प्रतिभा के बल पर बाकी 96% को अपना गुलाम बना लें और उनके ईश्वर बन जाएं लेकिन अभी उनमें अच्छाई बची है। इस दुष्ट, एहसान फरामोश दुनिया में कब तक ये अच्छाई ज़िंदा रहेगी? बुरे के साथ अच्छा कब तक करेंगे ये म्यूटेंट महान लोग? सवाल चिंताजनक है।
हर बात की एक सीमा होती है। ये बात सभी लोगों को याद रखनी चाहिए। अपनी मदद करने वालों का सम्मान करना सीखिये अन्यथा जिस तरह आज दुर्घटना होने पर कोई मदद को नहीं आता वैसे ही ये लोग भी आपकी मदद को कभी नहीं आएंगे। याद रखिये, इनकी हम सबको ज़रूरत है लेकिन इन महान लोगों को आपकी कोई ज़रूरत नहीं है अगर आप उनके साथ मित्रता या सौहार्द पूर्ण व्यवहार नहीं करते। नमस्कार! ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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