ज़रा देखिये, ज्यादा गहराई में न जाएं तो जानवर और इंसान में अधिक समानता है या किसी मानव और गाजर/आम में?
इन विद्वानों को गाजर के कटने पर दर्द होता है या दर्द से बिल बिलाते खून की धार छोड़ते घायल पशु को देख कर?
अगर वनस्पति और इन विद्वानों की तुलना करेंगे तो पाएंगे कि दोनो में ही दिमाग नहीं है।
वनस्पति और जंतु समान हैं तो उनको अलग-अलग ब्रांच में क्यों रखा गया है? बॉटनी और जूलॉजी!
सारी दया मानवों पर दिखाने वाले विद्वान, पशुओं (उपभोक्ता) को नफरत से बेजान वस्तु की तरह देखते हैं जबकि हम अगर भोजन (फ्लोरा/वनस्पति/उत्पादक) को भोजन की तरह देखते हैं तो इन विद्वानों को आलू-प्याज को देख कर दया आने लगती है।
हम पशुओं को दुखी नहीं देख सकते क्योकि वे अपना भोजन खाते हैं जो उनके लिए बना है। मानव की तरह किसी से छीन कर, बंधक बना कर नहीं खाते।
हम मानव कब से उनसे अलग हो गए? जूलॉजी में मानव भी पशुओं के साथ रखा गया है। जबकि वनस्पतियों को भोजन के रूप में अलग वनस्पति विज्ञान में रखा गया है।
हम vegan लोग, मानव और पशुओं पर दया करते हैं लेकिन भोजन (वनस्पति/Flora) पर नहीं। क्यों?
इसका जवाब इसी बात में छुपा है कि हे सर्वाहारियो ये बताओ कि आप मानव पर दया करते हो लेकिन उसी वर्ग (fauna) के पशुओं पर नहीं? आखिर क्यों? ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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