अवसरों का समान वितरण होना चाहिए। सभी को प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनने का अवसर मिलने की बात होनी चाहिए। लेकिन इनाम तो सिर्फ योग्य ही ले सकेगा। सही तरह से मेहनत करने वाला ही सफलता का स्वाद चखेगा। धन देश की धरोहर है। यह वह सोना है जो रिजर्व बैंक में हमारी पूंजी है। यदि सोने को अंतरराष्ट्रीय करेंसी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस सोने का वजन ही किसी देश की अर्थव्यवस्था को निर्धारित करता है। इसी के आधार पर हमें विदेशों से कर्ज मिलता है। यही किसी देश की GDP निर्धारित करता है।
(मुझे यह जानकारी नहीं है कि सभी देशों के रिजर्व बैंक के पास ये सोना कहाँ से आया। इसकी प्रमाणिक जानकारी अगर किसी को हो तो वह दे सकता है।)
रिज़र्व बैंक को इस सोने के अंतराष्ट्रीय बाजार में वर्तमान कीमत के बराबर करेंसी छापने का अधिकार था जिसे बाद में ढीला किया गया क्योंकि लोग करेंसी जला/दफना/संग्रह कर रहे थे। अतः अब सरकार कुछ प्रतिशत अधिक धन के नोट छापती है। बैंकों में जमा धन ही रिजर्व बैंक और इन्कम टैक्स विभाग मॉनिटर कर सकता है अतः सरकार बैंकों में जमा कुल धन से देश की अर्थव्यवस्था का पता लगाती है कि कितना धन मुख्यधारा में है जो टैक्स पेड white money है। लगभग सभी नकद धन जिनका कोई रसीद या स्टेटमेंट आपके पास नहीं है वह ब्लैक मनी माना जाता है।
2.5 लाख ₹ का काला धन आप वर्ष भर में खर्च कर सकते हैं। सरकार ने इसे व्हाइट बना दिया है। इस पर कोई टैक्स नहीं लगता। यही सीमा महिला और सीनियर सिटीजन के लिए 3 लाख है। (संशोधन सम्भव)
(सबसे पहले धन बाजार में करेन्सी के रूप में लोगों के पास कैसे आया मुझे जानकारी नहीं है। कृपया सुझाये।)
फिलहाल धन बंटवारे की विषयवस्तु नहीं है। दरअसल यह मेहनत का टिकट है। जो जितनी मूल्यवान मेहनत देगा, उसके बदले में उतना ही मूल्यवान धन लेगा या वह जिस मोलभाव पर राजी हो जाये।
यही वर्तमान में धन को पाने की शुरुआत होती है। ये कोई गड़ा हुआ खजाना होता जो किसी समूह को मिला होता तो अवश्य मेहनत करने के कारण उनमें ये बंट जाता। अतः अभी तो मुझे यह कमाने (earn) करने की विषयवस्तु लगती है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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