Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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सोमवार, अक्टूबर 15, 2018

युक्तिवादी होने के लाभ ~ Shubhanshu

व्यक्तिगत रूप से मैं कोई ज्यादा धनी नहीं हूँ लेकिन युक्तिवाद ने मुझे समस्त बुराईयों से लड़ना और प्रेम करना सिखाया है।

युक्तिवादी होने के बाद मैं vegan, atheist, marriage/religion/child free, open minded, positive, scientific और बेहद प्रसन्न हो गया।

Zoology के जीवन की उत्पत्ति और उद्विकास को गहराई से पढ़ने पर मैंने जीवन के रहस्य को समझा और ईश्वर की अवधारणा का उसमें खंडन पाया।

वैज्ञानिक विधि पढ़ने के बाद मैं युक्तिवादी हो गया। कुछ मूर्ख क्षद्मनास्तिकों से मिलने के बाद मुझे पता चला कि मैं उनसे भिन्न हूँ।

मैंने पाया कि सामान्य नास्तिकों का कट्टर आस्तिक शिकार करते हैं, इसलिये वह उनसे जुड़ते, बात करते हैं। नास्तिक उनके लिये ग्राहक जैसा होता है।

मैंने कई कट्टर और विज्ञान से लैस आस्तिकों से हफ़्तों तक चर्चा की। उन्होंने बहुत तर्क दिए जिनको काटना कठिन था। लेकिन मैं डटा रहा।

अंततः उन्होंने हार कर कहा, "तुम कौन हो? हमने जिसे पकड़ा उसे आस्तिक/धार्मिक बना कर अपने धर्म/समुदाय में शामिल कर लिया। तुम आम नास्तिक नहीं हो सकते।"

तब मैं उनसे कहता, "सही पकड़े, मैं आम नास्तिक नहीं हूँ। मैं हूँ युक्तिवादी! आप मुझसे नहीं जीत सकते, आस्तिक धर्म मिशनरी जी।"

युक्तिवादी होने के कारण मैं आत्मविश्वास से भर गया कि मैं अब सत्य तक पहुँचने की विधि जान गया हूँ। यही कारण है कि मैं बिना किसी प्रमाणिक प्रमाण के किसी की बात नहीं मानता। जबकि ज्यादातर लोग सिर्फ भीड़ की सुनते हैं।

भीड़ की न सुनने के कारण मुझे घमंडी कहा गया। क्षद्मनास्तिको ने भी मुझे अपमानित किया जब वे मुझे न समझा सके। इसी दौरान मुझे पता चला कि 90% नास्तिक वास्तविक युक्तिवादी नहीं थे। वे बस उदारवादी होने के नाते नास्तिकों में शामिल हो गए थे।

उदारवादी मतलब आम भाषा में सेक्यूलर या धर्मनिरपेक्ष होना। ये धर्मनिरपेक्ष कथित नास्तिक सभी धर्मों के पाखण्ड में शामिल होकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते थे। जिसे अपने धर्म में मांस खाने को न मिला वह दूसरे के धर्म में मांस ख़ाकर तृप्त हो रहा था।

जिसे अपने धर्म में लड़कियों से मिलना मुश्किल लगता था, वे दूसरे के धर्म में नई लड़कियों को अपना target बनाने लगता था क्योकि दूसरे धर्मस्थलों में लड़कियों की कोई कमी न थी।

कुछ धर्मों के त्योहारों में छेड़छाड़ करने को बुरा नहीं माना जाता था तो वे उनके भी साथी होकर एक दूसरे को छूने लगे। कुछ धर्मों में मुफ़्त के भंडारे/लंगर होते हैं तो वे उधर जाकर दावत भी उड़ाने लगते।

कुल मिला कर धर्मनिरपेक्ष होना, एक आम इंसान के लिए फायदे का सौदा था। उनके अनुसार स्थिर विचारधाराओं का होना बेकार और नुकसान देने वाला होता है। जबकि वे क्यों शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो रहे थे इसका उनको कभी ज्ञान नहीं होने वाला था।

जंतुजगत में केसीन, पशुउत्पाद, पशुवसा आदि मौजूद होते हैं जो कि प्रत्येक धर्म का व्यक्ति अपने भोजन में शामिल करता है। नास्तिक भोजन में कोई परिवर्तन नहीं करते क्योंकि चिकित्सा जगत का एक बड़ा वर्ग इन उत्पादों श्रेष्ठ बताता है। यहाँ तक कि आर्थिक प्राणिविज्ञान भी। ऐसा तो हर व्यापार में होता ही है।

आप जब कोई व्यापार करते हैं तो आपका टारगेट ग्राहक लाना और अपना उत्पाद बेचना ही होता है। इसके लिए आप हर वह तरीका अपनाते हैं जिसने औसत बुद्धि का ग्राहक खरीदारी करते समय अवश्य आपका मुरीद हो जाये। यही सबसे बड़ी नीति होती है कि अपने ग्राहकों को कम लागत पर बनी वस्तुओं को अधिक मूल्य पर बेचा जाए।

ऐसा कब होगा? ऐसा तभी सम्भव है जब ग्राहक प्रसन्न हो। हम जानते हैं कि हानिकारक वस्तुएं हमको क्षणिक प्रसन्नता देती हैं और बाद में गहरा नुकसान। लेकिन यह व्यापारी को बहुत धनी भी बनाती हैं। अच्छी वस्तुओं की कभी ज्यादा मांग नहीं होती।

अगर आपको लगता है कि किसी अच्छी वस्तु की मांग ज्यादा है तो आपको भी बहकाया गया है। उदाहरण के लिये शराब, तम्बाकू, गांजा, चरस और अफीम को किसी विज्ञापन की ज़रूरत नहीं पड़ती। अत्यंत हानिकारक होने पर भी लोग धर्मस्थल से ज्यादा इनकी दुकानों पर दिखते हैं। अरे हाँ मैं बताना भूल ही गया। धर्म स्थल भी नशे की दुकान ही हैं।

आपको गाहे-बगाहे शराब और खैनी की तारीफ़ करते गीत, चुटकुले और कविताओं का पुलिंदा दिखता रहता होगा। टीवी पर भी आपको शराब बनाने वाली कम्पनी के खाली सोडा वाटर पीते दिखाते अभिनेता शराब का क्षद्मविज्ञापन करते नज़र आ जाएंगे।

ऐसे ही गुटखा बनाने वाली कम्पनी पानमसाला और सुपारी का क्षद्म विज्ञापन करती दिख जाएगी।

अब यह तो हुआ दृश्यमान नशा। अब ज़रा अदृश्य नशे को देखते हैं। अरे, यह क्या? यह डेयरी में सुबह-सुबह शराब के खरीदारों की तरह लम्बी लाइन कैसी? इतनी भीड़ तो सब्जी मंडी में भी नहीं दिखती। कमाल है! हर मानव माँ के स्तन में दूध है फिर भी उसका बच्चा जानवर के बच्चे के हिस्से का दूध पीने आया है?

क्या कहा? मां के दूध नहीं उतर रहा? अरे इधर डेयरी वाला भी कुछ ऐसा ही कह रहा था फिर उसने एक इंजेक्शन लगाया और सब ठीक। अरे ये नई माताएं माँ बनना नहीं चाहतीं लेकिन समाज को दिखाने के लिए बांझ नहीं हैं साबित करना है। इसलिये डॉक्टर से स्तनों का दूध सुखाने की दवा ले लेती हैं चुपचाप।

जिनको सच में दिक्कत होती है उनको दूध उतारने की दवा दी जाती है न कि जानवरों का दूध पिलाया जाता है। जानवर का दूध जानवर के बच्चे के हिसाब से बनता है न कि मानव के बच्चे के हिसाब से। मानव दूध पतला और विशेष अमीनो एसिड से मिल कर बना होता है जबकि जानवर के दूध में इनका अलग और भिन्न संघटन होता है जो कि मानव शिशु के लिए हानिकारक होता है।

कुछ लोग एक भिन्न दुधारू जानवर के दूध को मानव समतुल्य बता कर अपने धार्मिक ज्ञान का हवाला देते हैं और उस भिन्न जानवर को अपनी माँ ही घोषित कर देते हैं। जैसे उनकी असली माँ उनके पैदा होते ही मर जाती हो हमेशा।

सत्य तो यह है कि वह भिन्न पशु दूध आम पशु दूध से कुछ हल्का अवश्य होता है और मानव शिशु उसे स्वीकार कर लेता है। लेकिन यह वैसा ही है जैसे आप पेट्रोल की जगह गाड़ी डीजल से चला तो लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद पूरा इंजन ही कबाड़ी को देना पड़ता है।

ऐसे बच्चों का पोषण की कमी से मानसिक विकास नहीं हो पाता और यह बड़े होकर मूर्ख कहलाने लगते हैं: http://bbbgeorgia.org/physicalBreastfeeding.php

पशु दूध के खतरे: https://hindi.firstpost.com/culture/drinking-milk-and-consuming-milk-products-is-hazardous-to-human-health-36204.html

भारत में सबसे ख़तरनाक हत्यारा कौन है? https://timesofindia.indiatimes.com/india/Whats-killing-Indians/articleshow/54930853.cms

क्या आपको हत्यारे का नाम मिला? जी हाँ, धमनियों में फंसा वह बाहरी वसा (bad cholesterol) जो कि मानव शरीर में खुद नहीं बनता। इसे हम लोग अपने शरीर में खुद डालते हैं आत्महत्या करने के लिए। आपको आश्चर्य होगा कि इसका एकमात्र स्रोत पशुउत्पाद हैं। यानि दुग्ध, अंडे और माँस। यहाँ देखिये किसमें और कितनी मात्रा होती है bad cholesterol की:  www.ucsfhealth.org/education/cholesterol_content_of_foods 

मुझे जल्दी नहीं मरना है और किसी को तकलीफ भी नहीं पहुँचानी। मानवता की बात करते हो तो वह दया, करुणा और सहानुभूति ही है। पशुजगत भी हमारी ही तरह है उसे भी जीने का उतना ही हक है जितना कि हमको। उत्तराखंड ने पहल करते हुए सभी पशुजगत को मानवाधिकार प्रदान कर दिए हैं। https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttarakhand/dehradun/uttarakhand-high-court-declares-entire-animal-kingdom-as-legal-entity/articleshow/64858994.cms अब उनको इंसान के समान अधिकार मिल गए हैं।

चिकित्सा जगत किस तरह बिका हुआ है इसका पता कभी न चलता अगर कुछ कर्मठ लोगों ने जासूसी करके दवा कम्पनियों और चिकित्सा संस्थाओं की पोल न खोली होती। देखिये यह खतरनाक डॉक्यूमेंट्री 
http://www.whatthehealthfilm.com (english).

ये तो था मेरे vegan होने का रहस्य अब आते हैं विवाह, शिशु और ओपन रिलेशनशिप की ओर। इसको समझने के लिए बड़ा लेख लिखा जा चुका है उसी की यह अगली कड़ी है। यह लेख पढिये यहाँ http://zaharbujhasatya.dharmamukt.in/2018/04/blog-post_53.html

नग्नतावादी या nudist होने के पीछे के राज जानने के लिए जाइये यहाँ https://zaharbujhasatya.dharmamukt.in/2018/05/nudism.html?m=1 साथ ही शरीर को सूर्य का प्रकाश विटामिन D देता है जो पानी में मौजूद कैल्शियम को हमारे शरीर में सोखने लायक बनाता है। अतः हड्डियां मजबूत करने के लिये नँगा रहना बहुत ज़रूरी है।

आकर्षण का सिद्धांत: किसी भी वस्तु या व्यक्ति को जी जान से चाहो उसे ही सोचो तो वह आपकी ओर आकर्षित होने लगती है। आप चुम्बकीय शक्ति उतपन्न करने लगते हैं। यह एक सिद्धान्त है इसका कोई तोड़ नही। यही कालांतर में ईश्वरिकरण के रूप में बदनाम किया गया। लेकिन आप इसे तार्किक रूप से भी अपना सकते हैं बस धन्यवाद देने के लिए समय को या सत्य जैसी भाववाचक संज्ञा को चुनिए। यह आपको वह सब दिला सकती है जो आपने सोचा भी नहीं कि वह हो सकता है कभी। ईश्वर जैसा खुद को महसूस करिये। कुछ भी अब असम्भव नहीं।

युक्तिवादी होने का सफर अभी यहीं तक रखते हैं। कुछ समय लगा कर सभी लिंक पढ़िये। एक साथ न पढ़ें तो टुकड़ों में पढ़िये। आपको अजर-अमर बनना है तो वह भी बना दूँगा। इसके लिए इस लिंक पर जाइये https://zaharbujhasatya.dharmamukt.in/2018/10/blog-post_8.html?m=1

अब अगर मुझे सब कुछ हासिल कर लेने का सच्चा आत्मविश्वास प्राप्त है और आप मुझे अपने झूठ से झुका नहीं पाते तो कमी आप में होगी। मैं तो पहले ही आपकी सेवा मे हाजिर हूँ। करोड़ों रुपये की कीमत की जानकारी वर्षों की मेहनत से हासिल करके आपको मुफ्त में दे रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ आप इसका दुरुपयोग नहीं करेंगे। धन्यवाद! आपका V.S.S. Chauhan 2018©  2018/10/15 19:10

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