संस्कारी रिश्ते उस समय के हैं जब गर्भनिरोधक का पता नहीं था और बच्चे हो जाते थे। कोई भी उसकी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था। यह एक संस्था जिसे विवाह संस्था कहते हैं का सहउत्पाद है। क्योकि अगर ऐसा न करें तो जिनके घर कोई लड़कीं न हो तो उनको सेक्स सुख कैसे उपलब्ध कराया जाता?
साथ ही वंशवादी सोच ने रक्त की शुद्धता को सिर्फ पुरुष के आधार पर नापा। धर्मग्रंथों में साफ लिखा है कि महिला खेत है और पुरुष सम्भोग करके उसमें हल चलाता है और शुक्र (वीर्य) रूपी बीज उसमें बोता है जिसके फलस्वरूप बच्चा रूपी फसल उगती है।
अगर रक्त सम्बन्धी यौन सम्बंध बनते तो इस कल्पना का क्या होता? जो कि इस नियम के विरुद्ध ही है क्योंकि वंश रक्त शुद्ध तब होगा जब भाई/बहन/पिता/पुत्री/माता आदि ही आपस में बच्चा उतपन्न करें। ऐसा इसलिये है क्योंकि विज्ञान से साबित हुआ है कि बच्चे में नर-मादा दोनो के ही 14-14 गुणसूत्र मौजूद होते हैं।
अतः पुरुष और महिला दोनो का बराबर अंश बच्चे में होता है। अब यदि आपको अपने माता पिता के वंश को शुद्ध रूप से बढ़ाना है तो आपको अपनी ही बहन या माता से सम्भोग करके बच्चा पैदा करना होगा। वंशवाद का विचार इस आधार पर आया था कि बुद्धिमानी और पराक्रम आनुवंशिक होते है।
यह सत्य है लेकिन इसमें महिला यदि दूसरे परिवार से है तो बच्चे के गुण में माता-पिता दोनो के गुण-अवगुण आएंगे ही। अतः अब तक जो होता आया वह गलत था। वंशवादी लोगों ने मूर्खता ही की। सही तरीका है, सुजननिकी। ~ Shubhanshu 2018©
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