कई वर्षों पूर्व एक मज़ेदार घटना मेरे साथ घटी थी। मैं उस समय इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रोजेक्ट और नए आविष्कार बनाया करता था तो नई-नई चीजें बनाने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान से ज़रूरी सामान लेता था।
प्रायः दिन के समय जाता था तो उनसे जानपहचान हो गई। लेकिन स्कूल में एक प्रतियोगिता में प्रतियोगी होने के कारण मुझे एक दिन सुबह ज़रूरी सामान लेने जाना पड़ा।
देखा तो दुकान खुली थी। दिल खुश हो गया। वह अगरबत्तियां सुलगा के मंत्र पढ़े जा रहे थे और मैं "अंकल जी मुझे देर हो रही है स्कूल के लिए" चिल्ला-चिल्ला के थका जा रहा था।
फिर थक-हार कर बाहर आ गया। स्कूल को देर हो रही थी लेकिन फिर भी अब न इधर का रहा, न उधर का रहा था। अतः रुका। कुछ देर बाद वह मेरे से बोले "आपको दिखता नहीं है कि मैं पूजा कर रहा था?"
मैंने तपाक से कहा, "लेकिन देवता को तो आप दुत्कार रहे हैं!"
वह बोले, "क्या मतलब?"
मैंने कहा,
1. आपकी बोहनी (एक प्रकार का प्रचिलत वैश्य पाखण्ड) मैं करने वाला था।
2. ग्राहक देवता (भगवान्) समान होता है।
वह मेरा ही मुहँ देखते रह गए 1 मिनट तक। फिर बात बदल के बोले, बताओ बताओ क्या चाहिए आपको?" 😀😁😂 ~ Shubhanshu SC 2018©
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