नास्तिक = कोई भी जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता है या कोई ऐसा व्यक्ति जो विश्वास करता है कि कोई देवता मौजूद नहीं है।
युक्तिवादी = कोई भी जो अवलोकन तथ्यों पर जोर देता है और उत्पत्ति या अंतिम कारणों के बारे में गूढ़ परिकल्पना को शामिल करता है।
उपर्युक्त दोनो परिभाषित शब्दों को देख कर आप समझ सकते हैं कि एक सिर्फ देवता/ईश्वर पर विश्वास नहीं करता जबकि दूसरा ऐसी किसी चीज पर विश्वास नहीं करता जो प्रयोगों और तर्को से साबित न हो सके। मैं युक्तिवादी हूँ जिसमें देवता/ईश्वर, आत्मा, भूत, प्रेत, पिशाच, जादू, टोना, तँत्रमन्त्र, औरा, टेलीपैथी, फेंगशुई, एक्यूप्रेशर/पंचर, फिजियोथेरेपी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी पैथी, व्यक्ति वादी आस्था आदि सभी तर्क और सुबूतों के आधार के कल्पना मात्र हैं।
PS: थोड़ा बहुत सही जो लगता है वह सब जानबूझकर विश्वसनीय बनाने के लिये उनमें सत्य को और विज्ञान को मिलाया जाता है। जैसे आयुर्वेद हर्बल sciance का प्रयोग करके कुछ रोग ठीक कर देता है ऐसे ही होम्योपैथी भी हर्बल निष्कर्ष को कहीं कहीं दवा के रूप में प्रयोग करता है।
तंत्र मंत्र वाले सुपारी किलर होते हैं। औरा, रेकी, फेंगशुई, एक्यूप्रेशर/पंक्चर वाले समेत सभी आपके विश्वास के साथ खेलते हैं और शरीर में मौजूद placebo effect को जाग्रत करके आपको लाभ पहुचाते हैं। जो कि वास्तव में धोखा कहलाता है। यह अच्छा है लेकिन जब इसके बदले धन का धंधा चलता है तब हमें सत्य बताना पड़ता है क्योकि गम्भीर बीमारी में और गम्भीर परिस्थितियों में आपको इन सब से सिर्फ एक ही लाभ होगा और वह होगा इस जीवन से जल्द मुक्ति और आपके घर वालों को बीमाधन मिलेगा।
विस्तार में लिखने में आलस आ रहा है। कोई प्रोत्साहित करना नहीं चाहता तो मैं भी कचरे में डाल रहा हूँ यह जानकारी, ऐसी भावना मन में आती है। पढ़ लो जो अगर कोई हो ज़हरबुझे सत्य का प्रेमी इधर। सही में खोजी होगे तो pseudoscience नाम के शब्द का अर्थ और विस्तृत वर्णन ढूंढ लोगे। ~ ज़हरबुझा सत्य (VS SC) 2018©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें