Zahar Bujha Satya

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बुधवार, अक्टूबर 24, 2018

मेरी दस प्रतिज्ञाएँ

मैंने कभी नहीं सोचा था कि जीवन भर दूसरों के आर्डर सुन कर धन कमाऊंगा। मैंने बचपन में ही फैसला कर लिया था कि

1. आजीवन अविवाहित रहूँगा लेकिन अपनी पसन्द की महिलाओं से मित्रता और सेक्स के लिए विकल्प खुला रखूंगा।

2. कभी बच्चे पैदा नहीं करूंगा क्योंकि मैं अमर नहीं हूँ, यदि बीच में मर गया तो उनको लावारिस नहीं छोड़ सकता और व्यस्तता के चलते उनकी परवरिश उचित ढंग से न कर सकूंगा।

3. वही खाऊंगा जो शरीर की कुदरती ज़रूरत है और जो मेरी नाक स्वीकार करेगी। इस तरह मैं लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकूँगा।

4. आधुनिक समाज नियमों में बंधा है अतः यातायात, कानून, कर्तव्य और अधिकारों का पूर्ण पालन करूँगा ताकि मुसीबत में न पड़ जाऊँ।

5. कम से कम कपड़े पहनूंगा ताकि शरीर को विटामिन D मिलने समेत कुदरती अहसास होता रहे कि जानवर कैसे जीवन जीते हैं और मैं मशीन न बन जाऊं। इससे असहाय लोगों की परेशानी समझने में आसानी हुई और मैं और अधिक मानवीय और दयालु बन गया।

6. मैंने तय किया कि उपर्युक्त 5 बिंदुओं से मेरा खर्च कम हो जाएगा और मैं यदि आज ही से धन कमाने और उसे जोड़ने के लिए प्रयास करूँ तो जब तक मुझे कमाने की आवश्यकता पड़ेगी तब तक मैं आर्थिक रूप से पहले से ही मजबूत हो चुका होऊंगा। इसके लिए मैंने बचपन में ही व्यापार किया और गुल्लकों में धन जोड़ा। बाद में बैंक में खाता खोल के उस धन को फिक्स किया और करता गया जब तक मुझे उसे खर्च करने की ज़रूरत न पड़ी। समय आया और मेरा जमा धन मुझे खुद कमा कर देने लगा।

7. आज मैं आत्मनिर्भर हूँ और अपनी शर्तों पर जीवन जीता हूँ। अब मैं धन के पीछे नहीं भागता बल्कि खुद को प्रसन्न रखने के लिए शौक पूरे करता हूँ। यद्यपि चूँकि मैं और अधिक दुनिया देखना चाहता हूँ इसलिये धन की आवश्यकता की पूर्ती हेतु भी अपने शौक प्रयोग करूँगा। लोगों के मन में अपनी छाप छोड़ पाता हूँ या नहीं यह तो प्रयोग का विषय है लेकिन उम्मीद है कि मैं अच्छा कर रहा हूँ।

8. समय आने पर मैं लेखन के क्षेत्र में और विज्ञान के क्षेत्र में अपने खोजे गए राज़ खोलूंगा परन्तु उनका उद्देश्य मानवता की भलाई के साथ-साथ सबके लिए प्रेरणास्रोत बनना भी होगा।

9. मैं अपने सभी उद्देश्यों में सफल होता रहा हूँ क्योंकि बचपन में मुझे भी मूर्ख कह कर स्कूल से निकाला जा रहा था और दया करके जो मुझे आगे बढाया गया तभी से मैं समझ गया था कि यह दुनिया मेरे लायक नहीं। उसके लिए तो मैं नालायक ही रहूँगा। अतः जीवन अब सिर्फ़ मेरे अपने हाथ रहा। इसको कैसे जीना है अब मुझे ही तय करना था। अतः मैंने अपने मन की सुनी, करी और करता रहूँगा।

10. इस भूखी/गरीब दुनिया ने मुझसे सबकुछ छीना है लेकिन मेरी ज़िद है कि इसे सज़ा देने की जगह इतना प्रेम, महत्वपूर्ण विचार, खोजें, आविष्कार, साहित्य, धन कमाने के उपाय और योगदान देकर जाऊंगा कि फिर कोई धन और प्रेम से गरीब इस दुनिया में पैदा तो होगा लेकिन गरीब मरेगा नहीं। ~ शुभाँशु 2018©  2018/10/24 20:14

Note: यहाँ दी गई सभी प्रतिज्ञाएँ सांकेतिक हैं जिनका अन्य लाभों के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन भिन्न-भिन्न posts में आप इसी website पर देख सकते हैं।