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बुधवार, अप्रैल 18, 2018

धर्म, समाज, सँस्कृति, बलात्कार और इसका पोस्टमार्टम ~ Shubhanshu

लेखक: शुभाँशु जी

प्रत्येक सम्प्रदाय में साधारण महिलाओं को तुच्छ दर्जा दिया गया है। सभी नियम कानून केवल उनके लिये आरक्षित हैं। पुरुषों के लिये केवल कुछ नाम मात्र के। सबसे ज्यादा जो आपको बुराई हर धर्म में मिलेगी वह है बलात्कार, शोषण, छेड़खानी, बलपूर्वक वैश्यावृत्ति इत्यादि। क्या आप जानते हैं कि यह कभी खत्म क्यों नहीं होता? क्यों लोग बड़ी से बड़ी सज़ा रखने पर भी यह कार्य करने से नहीं डरते?

इस बात का राज़ खोलने से पूर्व मैं आपको आतंकवाद की अवधारणा के विषय में शहीद होने की उपाधि के बारे में बताता हूँ। आतंकवाद दरअसल बाकी मुख्यधारा के लोगों द्वारा दिया गया शब्द है। जो इसके समर्थक हैं वे इसे धर्मयुद्ध कहते हैं। धर्म युद्ध यानी धर्म+युद्ध, अर्थात एक ऐसा युद्ध जो धर्म की रक्षा के लिये किया जाता है।

धर्म क्या है? जवाब है कि सम्प्रदाय कुछ विशेष नियम कानून बनाते हैं और उनको पालन करना प्रत्येक उस समुदाय के व्यक्ति को मानना अनिवार्य कर्तव्य माना जाता है। यही कर्तव्य दूसरे शब्दों में धर्म कहा जाता है। सामान्य भाषा में सम्प्रदायों को अब धर्म शब्द से ही सम्बोधित किया जाता है क्योंकि हर सम्प्रदाय अपने नियमो को धर्म से ही सम्बोधित करता है तो बात समानार्थ हो जाती है।

अब आप जान गए हैं कि धर्म वह है जिसे पालन करने पर ही आप अपने समुदाय के हितैषी और सम्मानित बन सकते हैं।

अब आते हैं युद्ध पर। युद्ध तो पता ही होगा। हिंसा से दमन। मतलब यह है कि जो धर्म से न चले वह इस युद्ध का शिकार बनेगा। यही है धर्मयुद्ध (आम भाषा में आतंकवाद)।

अब कोई अपनी जान खतरे में डालकर युद्ध क्यों लड़े? इसके लिये एक मानसिक औजार का प्रयोग किया जाता है, जिसे कहते हैं सम्मान। अर्थात जो धर्मयुद्ध लड़ेगा, किसी भी स्तर पर; उसे बहुत सम्मानित किया जाता है। यदि मृत्यु हुई तो उसे सेना में शहीद के समान शहीद की उपाधि दी जाती है। इस शहीद की उपाधि के लालच में (जो कि माता-पिता का नाम ऊंचा करना भी कहलाती है) जो बेकार दो कौड़ी के बिना टैलेंट वाले लोग हैं वे भी पड़े रहते हैं। सोचते हैं कि यह आसान होगा।

लगभग सभी सम्प्रदाय महिलाओं को ढंकने के समर्थक हैं। आप जानेंगे कि जिन भी जगहों पर महिलाएँ छिप छिपा कर निकलती हैं या अपने किसी रिश्तेदार के साथ निकलती हैं उन्हीं स्थानों पर बलात्कार के सबसे ज्यादा केस भी देखने को मिलते हैं। अब आप सोचते होंगे कि क्या बलात्कार ज्यादा होने के कारण बदन ढंकने का नियम बना या बदन नहीं ढंका इसलिये बलात्कार हो गए?

यह उदाहरण बलात्कार के प्रमुख कारणों में से एक है। इसका उत्तर है कि यदि सँस्कृति (सम्प्रदायिक नियम) का पालन नहीं किया तो आप दुश्मन हैं। आपको सज़ा मिलेगी। क्या आप महिला हैं और आपने अपने सम्प्रदाय के अनुसार आचरण नहीं किया? यदि हाँ, तो अब आपको सज़ा दी जाएगी। जहाँ भी मौका मिले। जब मौका न मिला तो छेड़खानी और जब मिला तो चढ़ती जवानी यानी शोषण या बलात्कार।

अब बात आती है कि अगर बदन ढंका हुआ है फिर भी बलात्कार हो गया तो? अगर लड़की छोटी है तो? बूढ़ी है तो? इसके भी जवाब हैं मेरे पास।
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उपर जो आपको सँस्कृति के अनुसार आचरण न करने पर दुश्मन बताया गया है उसमें कई बिंदु हैं।

1. धर्मानुसार वस्त्र धारण करे।
2. अकेले कहीं न जाये। अंधेरा होने पर तो कदापि नहीं।
3. शिक्षा से दूर रहे।
4. पर पुरुष से दूर रहे, बात चीत पर भी प्रतिबंध।
5. दाँत न दिखाए, हंसे नहीँ। हसंते हुए किसी पुरूष से बात तो कतई न करे।
6. हंसते हुए (दांत न दिखेंं) फ़ोटो/चित्र न खिंचवाये/बनवाएं।
7. विवाहेतर सम्भोग, विवाह पूर्व सम्भोग, प्रेम आदि न किया जाए।
8. पुरुष से बातचीत फोन-इंटरनेट आदि पर भी न किया जाए।
9. जो भी इन नियमो को न माने वह बदचलन है और उसे ऐसी सज़ा दीजिये कि बाकी महिलाएं ऐसा करने से भी डरें। 
10: सज़ा के उदाहरण: 
अ. बलात्कार कीजिये तथा विरोध करे तो उसके यौनांगों को घायल कर दें और जब लगे कि पकड़े जा सकते हैं तो हत्या।
ब. ऐसी लड़की के साथ बलात्कार व हत्या पुण्य है। आपको ईश्वर कृपा मिलेगी अतः अधिक से अधिक लोग इस कार्य को करें। अर्थात गैंग रेप।
स. दूसरे सम्प्रदाय की लड़की को अकारण ही सज़ा दीजिये क्योकि वहआपके धर्म के खिलाफ पहले से ही है, साथ ही वह और नए दुश्मन पैदा करने की मशीन है। बेहतर होगा कि उसके पुत्र आपके वीर्य से उतपन्न हों। 
अब यह कैसे भी किया जा सकता है, जैसे:
अ. पहल कीजिये। प्रेम जाल में फँसाइये। तारीफ कीजिये। उससे विवाह कर लीजिये। बच्चा कीजिये और आपने उसके धर्म के कई लोग कम कर दिए समझिये।
ब. विवाह सम्भव न हो तो विवाह पूर्व बलात्कार कीजिये और वैश्यावृत्ति में धकेल दीजिये। इससे भी विपरीत धर्म के लोग कम होंगे।
स. यदि लड़की विरोध करे, पीछे पड़ जाए, विवाह की ज़िद पकड़ कर तो उसका गैंग रेप अपने मिलन के स्थान पर उसे बुला कर या अपहरण करके या धोखे से ले जाकर अपने साथियों द्वारा करवा दीजिये। पुण्य मिलेगा। वह पीछा छोड़ देगी, वह आत्महत्या कर लेगी या वैश्या बना दीजिये। काम पुण्य का ही है अतः दूसरे धर्म के लोग कम हुए।
द. Online है तो उसकी शक्ल किसी अन्य के शरीर पर लगा कर उसे प्रचारित करके बदनाम कर दो। इस से उसकी शादी नहीं होगी। शादी न होने पर वह आत्महत्या कर लेगी क्योंकि हर धर्म महिलाओं के धन कमाने पर रोक लगाता है। केवल एक ही कार्य स्वीकृत है और वह है वैश्यावृत्ति। अर्थात वह या तो यह बन जाये या मर जाये। ऐसी हालत कर दो तो तुमने धर्म युद्ध का महिलाओं वाला पक्ष जीत लिया। आप सम्मान के हकदार हैं। आपको निजी रूप से सम्मानित किया जाएगा।
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यह उक्त "धर्मयुद्ध सम्विधान" का वह सीक्रेट सोसाइटी हिस्सा है जो आपको बता कर मैं खतरा मोल ले रहा हूँ। यह कागजों पर नहीं है। यह मौखिक हैं। पहली बार लिपिबद्ध किया गया। आप इसे सत्य महसूस करेंगें। यह आप भी जाने-अनजाने जानते हैं।

अब आपने देखा कि मूल मकसद महिला का नाश करना ही है यदि वह आपके धर्म/सँस्कृति के अनुसार नहीं चलती।

क्या सुबूत है कि यह सत्य है? यह सत्य है क्योकि मैने उक्त वार्तालाप पत्रकारों की लेटनाइट दारू-मुर्गे की पार्टियों में सुने हैं जिनमें हर धर्म के स्त्रीपुरुषों को यह छेड़खानी/बलात्कार समाज सेवा लगते हैं। मैं 10 वर्ष तक पत्रकार की नौकरी कर चुका हूं और अब स्वतन्त्र पत्रकार हूँ।

क्या अब भी आपको लगता है कि बलात्कार कानूनी सज़ा बढ़ाने से रुक सकते हैं? यदि हाँ तो आप मूर्ख हैं।

इसके वास्तविक इलाज हैं:
1. धर्म/सम्प्रदाय से मुक्ति। साथ ही आत्मरक्षा का पूरा इन्तज़ाम।
2. मार्शल आर्ट के tiquandow ब्लैकबेल्ट den 4 तक की पूर्ण शिक्षा।
3. आधुनिकता का प्रदर्शन (मन मर्जी के कपड़े पहनें) ताकि धर्मयोद्धा को लगे कि आपको उससे कोई डर नहीं है।
4. पोलिस बेंटन, काली मिर्च स्प्रे, करंट मारने वाली मशीन खरीदें। न मिलने पर मुझे बता सकते हैं।
5. छोटे बच्चों को अकेला न छोड़ें। जब तक वे आत्मरक्षा करने के लिये तैयार नहीं हो जाते।
6. सबक सिखाएं। कानून की हद में रहते हुए गलत हरकत करने वाले को उसी तरह सबक सिखाएं जैसा वह आपके बारे में सोचता है। इतना डर पैदा कर दें कि कोई बिना पूछे touch भी न कर सके।

मेरी दोस्तों को झेलना पड़ा है, उनके किस्से सुन कर आंखों में आंसू आते हैं। साथ ही आता है गुस्सा, ऐसे धार्मिक सांस्कृतिक समाज पर जो इतना घ्रणित और दोगला है। अच्छा है कि मैं धर्ममुक्त हूँ इसलिये आपको यह सत्य बता भी पाया।

आप भी बनिये। इस सत्य को हर बालिका तक पहुँचा दो। आपको पुण्य तो नहीं मिलेगा लेकिन तेजी से कम हो रही सैकड़ों महिलाओं को बचाने की आत्मशांति ज़रूर मिलेगी। मेरी तरह। ~ आपका अपना मित्र, शुभाँशु जी, 2018© लेखक: शुभाँशु जी

https://www.facebook.com/VeganShubhanshu/

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