प्रश्न: महिलाएं/किशोरियां फेसबुक/ट्विटर/इंस्टाग्राम/whatsapp पर अपनी असली तस्वीर क्यों नहीं लगाती हैं?
उत्तर: उनको इस बात का डर है कि कोई व्यक्ति उनसे रिजेक्ट होकर उनकी तस्वीर को किसी पोर्न स्टार की बॉडी पर चिपका कर उनको बदनाम कर देगा और वे विवाह नहीं कर पाएंगी।
उनको खुद पर भरोसा ही नहीं है। नहीं तो साँच पर क्या आँच? बदनाम करने वाले के लिए कानून बना हुआ है कि उसे भयानक सज़ा मिलेगी और लड़की की पहचान गुप्त रहेगी। लेकिन वो है न कि पापा/भाई/दीदी ने कह दिया तो वही करेंगे। ये वही लोग हैं जो लड़की को खुली तिजोरी कहते हैं।
महिलाओं को प्रायः नौकरी/व्यवसाय की कोई सम्भावना खुद में ही नज़र नहीं आती है (घटिया सोच), तो विवाह करके ज़िन्दगी काटने का विकल्प ज्यादा उचित प्रतीत होता ही है। जबकि पढ़ने लिखने में सबसे ज्यादा योग्य महिलाएँ ही हैं। उनको नौकरी तुरन्त मिलती है।
वह जिस व्यवसाय को शुरू कर दें, अमीर समाज उनके मोह में ज़रूरत से ज्यादा समान खरीद लेता है। इसीलिए रिसेप्शन पर सुंदर महिला को विशेष रूप से रखा जाता है। लेकिन विवाह के लालच में वह एक जगह टिक कर नहीं बैठती। इसलिये उनको वेतन मामूली ही दिया जाता है। क्या पता कब चली जाए वह अपने पिया के घर? कुछ पता नहीं।
लड़कियों को जिद्दी बनना ही होगा। वयस्क होने के बाद उन पर किसी का हक नहीं है लड़को की ही तरह।
लडको की क्षवि खराब बताने वाली महिला, विवाह उसी पुरुष से कर लेती है जिसे घरवाले फाइनल कर देते हैं। फिर यह दोहरी विचारधारा किस लिए? केवल बेवकूफी। डरपोक स्वभाव। दबाव में रहना। अरे खुद ही खुद को कमज़ोर कहने वाली महिला कभी मजबूत नहीं हो सकती।
Vegan Shubhanshu Singh Chauhan
फेसबुक ने महिलाओं की समस्या को समझा है। उसने प्रोफाइल पिक्चर गार्ड बनाया, पिक्चर का कोई स्क्रीनशॉट ले कर दुरूपयोग न करे उसके लिये add डिजाइन का फीचर भी दिया लेकिन मजाल है जो घरवालों की बात टाली जा सके?
ऐसे आप पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकतीं। जूती ही बनी रहेंगी। विद्रोह करने से ही देश आजाद हुआ। आप भी ऐसे ही आज़ाद हो सकती हैं।
प्रश्न: महिलाएं अपनी तस्वीर में खुल कर क्यों नहीं मुस्कुराती? मतलब दांत क्यो नहीं दिखातीं?
उत्तर: वही...कहावत है न? हंसी तो फंसी। बस भैया ने बोल दिया कि दांत मत दिखाना कभी फ़ोटो में तो कर रही हैं गुलामी। और हाँ, हँस हँस के बात भी न करें लड़कों से कभी। यह भी हिदायत दी गई है।
डर किस बात का है?
वही...कहीँ लड़की को प्यार न हो जाये किसी से। बताओ हंसने तक पर पाबंदी। और ये घरवाले आपके प्रिय हैं। लड़की न हो गई ब्याही हुई गाय हो गई। कोई भी ले जा कर दूध निकाल लेगा। इसलिये बांध कर रखो। हद है यार। इंसान किसलिये बन गए फिर? गाय-भैस-सांड बन जाते न?
प्यार न हो जाये कहीं प्यार न हो जाये...फिल्मों में बसंती और वीरू के प्यार को आंसू बहा कर देखने वाले लोग अपनी लड़की को किसी अनजाने के ही बिस्तर पर भेजेंगे सीधे। लानत नाम का एक शब्द होता है उसको समझना कभी। प्यार करने वाले मर जायँगे लेकिन रुकेंगे नहीं। कर लो जितना करना है अत्याचार।
सब आपकी तरह प्रथम रात्रि बलात्कारी नहीं। कुछ पहले से प्यार भी करते हैं। ज़िस्म बाद में अपने आप करीब आता है।
प्रेम मानसिक है लेकिन हवस शारीरिक। हम हवस के पुजारी नही। इसलिये विवाह को नहीं मान्यता देंगे कभी। विवाह सिर्फ हवस (lust) की पूर्ति करने के लिये बना है। उसमें प्रेम हवस की मजबूरी बन कर होता है। सम्भोग की आदत पड़ने पर जो प्यार होता है वह हवस है वह वास्तविक प्रेम नहीं।
जब प्यार किया तो डरना क्या? न विवाह करेंगे और न ही अलग रहेंगे एक दूसरे से। प्यार करो, शक नहीं। कोई वादा करो ही मत अगर प्यार सच्चा है तो। न वादा करो न धोखा मिलेगा। ~ Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 2018© 2018/02/22 19:05
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