Zahar Bujha Satya

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सोमवार, अप्रैल 23, 2018

संविधान की खिल्ली उड़ाते कानून ~ Shubhanshu

कोई भी कानून हो, उसके लिए सबसे जरुरी है:

1. Gender Neutral/लिंग तटस्थ: मतलब पुरुष और स्त्री दोनो गुहार लगा सकें। उदाहरण: महिला पुरूष पर बलात्कार का मुकदमा कर सकती है लेकिन पुरुष महिला पर नहीं कर सकता। यह गलत है।

2. Strong evidence: यानी जुर्म कैसे सिद्ध होगा? क्या सिर्फ बयान से ही मान लिया जाएगा? उदाहरण: यदि बलात्कार हुआ है तो केवल महिला के बयान को ही सुबूत मान कर अभी गिफ्तारी हो जाती है। यह गलत है।

3. Misuse Collase: यानि अगर झूठा आरोप लगाया गया है तो झूठे आरोप लगाने वाले को उतनी ही सजा। उदाहरण: अभी यह सिर्फ भुक्तभोगी के द्वारा की गई कार्यवाही पर निर्भर है।

तभी हम कानून के दूरुपयोग को रोक पाएंगे और कानून सही रूप से प्रभावी होगा। नहीं तो दूसरे कानूनों की तरह यह भी आपसी मनमुटाव को हल करने का और अपनी नाजायज़ मांग मनवाने का एक और तरीका बन जायेगा। इस से उन झूठे भृष्टाचारी लोगों को सबक मिलेगा जो एक आम सच्चे व्यक्ति को झूठे मूकदमे मे फँसा कर शोषित करते हैं। अभी जो 80% भ्रष्टाचारी लोग झूठे मुकदमे लगाते हैं, उन्हें सजा मिलेगी और देश का भला होगा।

महिला कानूनों को एक बार फिर से स्क्रूटनी (संशोधन) की ज़रूरत है। वह सम्विधान के मूल से इतर जा रहे हैं। न्याय को न्याय ही रहना चाहिए तभी वह स्वागत योग्य बनेगा।  2018/02/21 13:33 ~ Mr. Vegan Shubhanshu Singh Chauhan

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