देवता मृत्यु लोक में जन्म लेकर आ सकते हैं। विष्णु राम और उनके भाइयो में बंट जाते हैं। कोई लक्ष्मण को शेषनाग बोलता है जबकि वे विष्णु के ही चतुर्थांश थे। साथ ही उसी समय पवन देव जो कि देव थे न कि मनुष्य उनके वीर्य से एक पतिव्रता स्त्री हनुमान को जन्म देती है जो कि शिव के रुद्र अवतार हैं। एक तरफ राम (विष्णु) महालिंगम में शिवलिंग लगा कर पूजन करते हैं दूसरी तरफ शिव हनुमान रूप में विष्णु (राम) के पैर दबाते हैं।
पोलस्य (रावण) को मारने के लिये संहारक शिव की जगह पालक विष्णु को भेज दिया जाता है और शिव अपना धनुष विष्णु से हारने के बाद जनक को दे देते हैं।
मतलब एक दम मूर्खतापूर्ण रचना। मिलावट हो या न हो। कॉमेडी खूब है।
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