Zahar Bujha Satya

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रविवार, अप्रैल 29, 2018

माता-पिता की ज़िम्मेदारी हैं अवयस्क बच्चे

सभी जगह डेटिंग शुरू करनी होगी। लड़कों को "संस्कारी" लड़कियां भाव नहीं देतीं तो कुंठा में वे बच्चो को शिकार बना लेते हैं और आप लोग लगे रहिये सयंम का उपदेश देने में या गुड टच बैड टच 6 महीने या 6 साल की बच्चियों को घोलके पिलाने में क्योकि उनको तो कुछ समझ में आएगा नहीं।

पता नहीं यह कैसी सुरक्षा है? जो उनको रेप करेगा तो पहले मुहँ बन्द करेगा या उसे चिल्लाने का मौका देगा? बेवकूफ लोग, गधे।

छोटे बच्चों को अपने साथ रखने में क्या मरती है माता-पिता की जो उनको अकेला छोड़ देते हैं? जब तक 18 के नहीं होते बच्चों की ज़िम्मेदारी माता-पिता की है। उनके साथ कुछ हो तो सज़ा अपराधी से ज्यादा माता-पिता को दी जाए तो ज़रूर रेप रुकेंगे बच्चों के।

सेक्स एडुकेशन भी सिर्फ समझदार हो रहे बच्चो को दे सकते हैं। 10-12 वर्ष के बाद लगभग। इससे पहले तो उनके भीतर कुछ यौवन के लक्षण भी नहीं दिखते।

सेक्स एजुकेशन में सेक्स करने का तरीका, उसके फायदे और नुकसान समझाए जाते हैं। साथ ही अगर कोई अपनी मर्जी से कर बैठता है तो क्या करना चाहिए सुरक्षा के लिये आदि। सारी दुनिया का ठेका तो मैं लिए बैठा हूँ। आप लोग ऐश करो। 😬 ~ शुभाँशु जी 2018©

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