ज़िन्दगी और सत्य से बड़ा कोई गुरु नहीं और यह सबके साथ रहते हैं। किसी व्यक्ति को गुरु बना कर उनकी पूजा करने वाले, उनकी कमी बताने वाले से नफरत करने लगते हैं। व्यक्तिगत हमले करते हैं, पुरानी दोस्ती और एक् दूसरे की प्रतिभा को मानसम्मान देना भूल जाते हैं और हकीकत को स्वीकार करने की क्षमता खो देते हैं।
ऐसे लोग देश, दुनिया के लिये खतरा हैं जो किसी को परफेक्ट मान लेते हैं। ओशो, मार्क्स, अम्बेडकर, गाँधी, अन्ना, एडिसन, आइंस्टाइन, टेस्ला, बुद्ध, नानक, महावीर आदि बहुतों को भगवान् बनाया जा चुका है जबकि सबका काला पहलू अवश्य है। इसलिये इनको साधारण इंसान जैसा मान कर उनके कर्मों को याद रखना चाहिए न कि उनसे भावनात्मक लगाव रखना चाहिए।
भावनाओं में बहकर ही दंगे, अपराध और ज़ुल्म होते हैं। इस दुनिया में सिर्फ विचारों का सम्मान होना चाहिए। व्यक्ति का साधारण सम्मान होना चाहिए। जो लोग इस बात को नहीं समझते, वही भविष्य के अपराधी हैं।
धार्मिक लोग किसी महापुरुष के नाम पर ही कत्लेआम करते हैं। जो धार्मिक नहीं वह किसी महापुरुष को ढाल बना कर उनके कंधे पर बन्दूक रख कर चलाता है। यह भी उनसे कम नहीं हैं।
ऐसे लोगों से सावधान रहें जो अपने निजी क्षणिक स्वार्थ के लिये किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर, नाम आदि को अपनी ढाल बना कर बात करते हैं और उनको सबसे बेहतर बताते हैं। यह स्थिति ईश्वरीकरण कहलाती है। वही बात जिससे हम सभी बचना चाहते हैं।
मेरी उपरोक्त बात बहुतों को कड़वी लगेगी। मैं कड़वा ही बोलता हूँ। छुपाया गया सत्य कड़वा होता है, ज़हरबुझा होता है और हमने ज़हरबुझे सत्य को सामने लाने का बीड़ा उठाया है। आपको अच्छा लगे या बुरा। सत्य आपके सामने घुटने नहीं टेकेगा।
जबकि सत्य के आगे बाकी सबको झुकना चाहिए। यही सार्थक है। यही ज़रूरत है। यह कार्य जो कर ले समझिये उसका जीवन सफल! मैं सत्य के आगे झुकता हूँ और किसी के आगे नहीं। आप से भी यही उम्मीद है। आपकी भलाई इसी में है। सबकी भलाई इसी में है कि सत्य को स्वीकार लो। सत्यमेव जयते! ~ ज़हरबुझा सत्य via vegan Shubhanshu SC 2018©
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