प्रकृति को रोक नहीं सकते आप। सेक्स पर नियम बनाने से सेक्स की कुंठा में आज बच्चियां/बकरियां शहीद हो रही हैं। उधर लडकिया क्या कर रही हैं? लेस्बियन बन रही हैं। इस संस्कृति का ढोंग आपको कामसूत्र की किताब, मंदिरों की कामुक मूर्तियों में नहीं दिखता? बर्बाद कर दिया मेरा देश तुम्हारी दोहरी संस्कृति ने। वह संस्कृति जो लिंग-योनी पूजती है। उसे पवित्र मानती है और तुम उसे घिनौना बोल कर कमरे ढूंढते हो किसी के साथ घिनौना बनने के लिए?
कितना दोहरा है समाज। सदियों पहले से सेक्स को आज़ाद रखा गया। सेक्स की आज़ादी ने बलात्कार को शून्य बनाये रखा। देश में मुगल आक्रमण से पहले महिलाओं के शरीर इतने नहीं ढंके जाते थे जितना उनके आने के बाद ढंके जाने लगे। जब हिन्दू-मुस्लिम साथ रहने लगे तो उनमें रोमांस होने लगा। प्यार ने अपनी कलियाँ खोलीं। प्यार जातपात और धर्म से ऊपर उठने लगा। तभी धर्म के ठेकेदारों को अपना धंधा खतरे में जाता लगा।
राजनेताओं को अपना वोट बंटता लगा। धर्म और जाति के नाम पर जो वोट बैंक थे सबको दो धर्मों के प्रेम ने खतरे में डाल दिया। परिणाम क्या होना था? मार दिया गया उन मासूमों को काट कर, जला कर जिन्होंने अपनी प्रकृति से विद्रोह नहीं किया। ऑनर किलिंग मतलब अपने ही बच्चों की अपने काल्पनिक सम्मान की खातिर हत्या। सिर्फ सेक्स जैसे साधारण सी, आधारभूत ज़रूरत के खिलाफ? शर्म उस समय नहीं आई तो आज क्या आएगी।
जिनको शर्मनाक कार्य करने में गर्व होता है, जिनको गांधी जैसे दुर्बल, इंदिरा, राजीव जैसे निहत्थों को मारने में, खालिस्तान, पाकिस्तान, तेलंगाना, हरिजनिस्तान, कश्मीर बनाने में गर्व होता है, देश के टुकड़े करने में, हर महिला को सेक्स की विषयवस्तु समझने में, तिजोरी/रत्न जैसा वस्तु से तुलना करने में, अपने उपनाम, जाति, स्टेटस पर गर्व का गरबा करने से फुर्सत नहीं ऐसे लोगों को सत्य बताना भी सत्य का अपमान सा लगता है।
लिखना मुश्किल हो रहा है, दिख नहीं रहा, आँखों में पानी भर आया है, रुक ही नहीं रहा। आंसू पोछ कर एक-एक शब्द लिख रहा हूँ। शायद अब इस देश से इंसान मिट चुके हैं। शायद इस देश में अब देश नहीं रहा। अगर अब भी कोई फर्क नहीं आया तो आ भी नहीं सकेगा। भारत को विश्व गुरु बनाने की बातें करने वालों ने ही मेरा देश खा लिया। :-( ~ ज़हरबुझा सत्य via Vegan Shubhanshu Singh Chauhan 6:18am 2018©
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