Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
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बुधवार, अगस्त 15, 2018

ज़िद है मेरी

दोस्तों, मैंने अपना पूरा जीवन विश्व सुधार को समर्पित किया है। जितना समय मैं आपको देता हूँ, जितना मैं लिखता हूँ, जितना प्रेम से बात करता हूँ यह सब करना आसान कार्य नहीं है मेरे लिए। सब कुछ छोड़ कर आपके लिये आया हूँ।

मेरी अपनी पारिवारिक ज़िन्दगी भी उजड़ गई इस नशे में जो मुझे न जाने कब से चढ़ा है। सभी जानने वाले लोग छोड़ गए। दोस्त नहीं रहे। नौकरी नहीं रही। घर बार न रहा। सब चला गया। रह गया तो सिर्फ मेरा सपना। जिसे कोई पूरा नहीं होने देना चाहता और हम हैं कि ज़िद पर अड़े हैं।

"जो हो नहीं सकता, वही तो करना है।
ऐसी ज़िन्दगी, जिसमें ज़िन्दगी न हो, तो...
मुझे मरना है।" ~ Shubhanshu 2018©

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