प्रेम बिना बंधन के। 1 से कई लोग प्रेम कर सकते हैं तो सब साथ में बात क्यों नहीं करते? जिस तरह मुस्लिम 4 पत्नियों के साथ एक साथ रहता है, वैसे ही बाकी लोग भी अपने सभी प्रेमियों/प्रेमिकाओं के साथ रह सकते हैं
प्रेम में अगर विवाह न हो तो ये ईर्ष्या में नहीं बदलेगा। दूसरे को हटाने की जगह उससे दोस्ती ही असली प्रेम है। जैसे अपने प्रेमी की पसंद की वस्तु या व्यक्ति का ख्याल रखना प्रेम है। न कि उसकी पसंद की वस्तु को तोड़ देना।
इसको अपनाने के लिये आपको करना क्या है?
कुछ नहीं, आज सभी के एक से अधिक प्रेमी और प्रेमिका होते हैं। बस उनको आपस में मिलकर एक दूसरे से दोस्ती करनी है और उनके सामने भी वैसे ही रहना है जैसे अकेले में सहज रहते हैं। असहज नहीं महसूस करना है।
जो लोग विवाह के चक्कर में हैं, वे अपने साथियों को धोखा देते हैं। यह विश्वास दिला कर कि वे मोनोगेमस हैं। जबकि आप और हम सब पोलिगेमस हैं। इसीलिये ज़रा-ज़रा सी बात पर ब्रेकअप होते हैं और नया साथी मिल जाता है।
इसलिये यह झूठ बीच में से निकाल देना है। सभी को पता होना चाहिए कि वे किस रिश्ते में हैं। इसीलिए विवाह की जगह लिव इन चुनें और किसी नए प्रेमी और प्रेमिका को मना करके उसको आत्महत्या करने पर मजबूर न करें। जैसे राजकपूर की फ़िल्म संगम, बॉलीवुड फिल्म गर्ल फ्रेंड व ऐसी ही अनेक सच्ची घटनाएं जहां प्रेम त्रिकोण या चौकोर, पँचभुज, षटकोण आदि रहा हो। इन सभी घटनाओं में मोनोगेमस विवाह ने हत्या और आत्महत्या को बढ़ावा दिया।
इंसान बनिये। धोखा मत दीजिये। प्रेम का सम्मान कीजिये। किसी को धोखा मत दीजिये। सबको सत्य बता दीजिये कि आपके अलावा भी कोई मेरी ज़िंदगी में आ सकता है। सब साथ रहेंगे परिवार की तरह। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
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