किसी के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले फ़ोटो/मूर्ति/चिन्ह का सीधा सम्बन्ध, गुटबंदी करके नफरत करने से होता है चाहे वो कोई भी धर्म या समुदाय का व्यक्ति हो।
इस बात को मुहम्मद ने समझा था और इसको एक प्रयोग से साबित किया था कि मूर्ति/तस्वीर/चिन्ह नफरत की जड़ होती हैं। ये सब राजनीतिक दल केवल दंगा करवाने के उद्देश्यों से बनवाते हैं।
महापुरुषों की जगह पुस्तकों में है।
उनकी अच्छी शिक्षा की जगह हमारे दिमाग में और बुरी बातों की कोई जगह कहीं नहीं होनी चाहिए। तभी हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकेंगे। गांधी/अंबेडकर/पटेल/काशीराम/माया/बुद्ध जैसा महापुरुष/राजनीतिज्ञ या कोई भी देवी-देवता हो, सभी की तस्वीर/मूर्तियों का प्रदर्शन करना, सीधा लड़ाई और नफरत को पैदा करने की जड़ है।
राजनीतिज्ञ जब चाहें किसी से इनको अपमानित करके आप सबका आपस में दंगा करवा कर और दंगा पीड़ितों की मदद करके अपना वोट पक्का कर लेंगे। मरेंगे आपके बच्चे/दोस्त/भाई-बहन, परिजन आदि। घर जलेंगे आपके और आप ही हत्यारों/लुटेरों को वोट देकर सोने से लाद दोगे।
मुझ पर भरोसा न हो तो देखना, कभी दंगों में कोई नेता कभी हताहत हुआ हो तो। दंगों के बाद जो भी आपके पास कंबल/रसद लेकर आये वही है आपका असली दोषी। उसी ने आपका परिवार/घर मकान खा लिया। सोचो, सोचेंगे तभी समझ आएगा कि हम सब कितने बड़े मूर्ख हैं जो इन नेताओं के चक्कर में पड़ जाते हैं। 99% सब एक से हैं। ~ Dharmamukt Shubhanshu 2019©
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