Zahar Bujha Satya

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मंगलवार, सितंबर 10, 2019

खुद को स्वीकार करना ही सुकून है ~ Shubhanshu


मैंने आज सामान्य इंसान की तरह सोच कर देखा कि पोस्ट बनानी हो तो क्या लिखें? बहुत देर तक सोचने के बाद भी कुछ समझ न आया तो ये लिखा अपनी तरह सोच के।

शायद इसीलिए हमारे आसपास कॉपी-पेस्ट और कूड़ा पोस्ट ही ज्यादा मिलती हैं। जो शर्मिंदा हैं वे दूसरों के विचार ही चेप कर काम चला रहे। खुद का या तो कोई विचार ही न है या वो इतना बचकाना है कि हंसी उड़ जाए।

ये लोग कमेंट करते समय तो अपनी संगत और लोगों की सोच के अनुसार दूसरे की सोच पर तानाशाही करेंगे लेकिन इनकी खुद की वाल पर कोई विचार खुद का न होगा। आसान नहीं है ज़हरबुझा सत्य अपने बारे में लिखना।

सब दूसरों को दोष देकर खुद को पाक साफ बता देते हैं। मतलब कोई दोषी है ही नहीं। इसीलिये ये मानव आज बर्बाद और दुखी हैं। मैं 35 वर्ष का हूँ, बहुजन हूँ और बेरोजगार हूँ, जमापूंजी से मिले ब्याज से कम से कम में खर्च में जीवन यापन कर रहा हूँ। ये सब कहने में मुझे भी काफी समय लगा क्योकि ये सब बातें शादी करने वालो को ही पूछनी और बतानी चाहिए।

शादी तार्किक रूप से गलत है और इस पर बहस का कोई लाभ नहीं क्योकि आप तो सिर्फ अपनी मर्दानगी साबित करने के लिये करते हैं। सेक्स तो विवाह से पहले और बाद में भी आप कर ही लेते हो। अतः विवाह और बच्चों से मैं कोसों दूर हूँ।

मेरा खानपान एक दम साधारण। दाल, चावल, रोटी, साग, छोले-भटूरे, समोसे, गोलगप्पे, यिप्पी नूडल, मैगी आदि यही सब खाता हूं। रोज नहीं इनमें से बदल-बदल कर कभी कभी। घर में पड़ा रहता हूँ। सोचता रहता हूँ। फ़िल्म-सीरीज-गेम्स यही सब pc पर देखता रहता हूँ। किसी से न मिलता हूँ और न ही किसी का फोन उठाता हूँ।

एक तरह से दुनिया से कटा हुआ और एकांतवास में। कुछ खास लोगों से मिल लेता हूँ कभीकभार। कभी कभी सरकारी काम भी कर आता हूँ जैसे टैक्स जमा करना। दाढ़ी 1 फुट की हो जाती है तो ट्रिमर से काट देता हूँ। बाल भी बढ़ कर आंखों में घुस रहे हैं। उनको भी संभालना दिक्कत का काम है। कुछ करना है उनका भी। नाई के पास सालों से न गया।

कम नहाता हूँ, मंजन भी रोज नहीं करता। कपड़े भी जब दुर्गंध आती है, तभी धोता हूँ या दाग लगे हों। अपने बिस्तर पर सारा दिन नँगा पड़ा रहता हूँ। झाड़ू नहीं लगाता जब तक फर्श दिखना बन्द न हो जाये या मैं फिसल कर गिरने न लगूं धूल पर। जागने सोने का कोई टाइम फिक्स नहीं है।

काफी हद तक जंगली जीवन जी लेता हूँ। मच्छरों के बच कर। पार्टनर आती है तो बातें होती हैं। हंसी-ठिठोली और नोक-झोंक करके साथ में समोसे या छोले-भटूरे व सॉफ्ट ड्रिंक लेते हैं।

सेक्स पार्टनर के साथ आखिरी ओर्गास्म स्कोर:

पार्टनर- 6, शुभ- 1, राउंड- 3

स्वीकार कर लेने में क्या बुराई है? मुश्किल है क्योंकि दूसरे आपके जैसे नहीं। लेकिन आप भी दूसरों के जैसे नहीं यह भी तो अच्छी बात है। खास तौर पर जब कि मैं खुश और अपनी मर्जी का मालिक हूँ। जो अच्छा लग रहा, वही कर रहा हूँ। दुनिया, लड़कियां लोग सब अपना जीवन जैसे चाहें जियें लेकिन मैं भी अपनी मर्जी से जीकर खुद को महसूस कर रहा।

कल ख़बरों में पढ़ा कि बरेली का एक रिक्शे वाला IPS अफसर बन कर फेसबुक पर 3000 लड़कियों से रोमांस कर रहा था। इधर फेसबुक पर सिर्फ लड़कियों को मुझे तंग करने, मेरी डिटेल निकालने और मना करने पर इन्सल्ट करने के सिवाय और कुछ नहीं आता। कुछ तो फ्री का भैया समझ कर बस टोलफ्री हेल्पलाइन बना कर बैठ जाती हैं। अतः मुझे फेसबुक पर लड़कियों से दोस्ती में कोई खास रुचि नहीं रह गई है। लड़कों में भी सिर्फ वही मित्र हैं जो मुझे समझते हैं और मेरे विचारों से प्रभावित हैं।

झूठ बोल कर ही लड़कियों को आकर्षित किया जा सकता है क्योंकि अधिकतर लड़कियों को सिर्फ पैसा और फ्री का घर चाहिए होता है। लड़का तो एक टिकट मात्र है उस आजीवन नौकरी का। जिस पर वे गर्व कर सकें कि पावरफुल आदमी है। इसकी धाक होगी शहर में। दरअसल उसे अपने कोतवाल सइयां से तानाशाही की उम्मीद होती है। पुलिस से जनता भयभीत रहती है जबकि मुझमें कुछ ऐसा है कि पुलिस भयभीत रहती है मुझसे। 10 मिनट किसी पुलिसवाले से बात कर लूं तो वो ड्यूटी पर जा रहा हूँ बोल के उल्टी दिशा में निकल लेता है, जबकि पहले मुजरा देखने जा रहा होता है।

मुझे इस तरह की लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं होता। इस तरह के लोग बस एक दीमक हैं। सुंदरता से कुछ नहीं होता अगर विचार अच्छे न हों। अगर कुछ करना है तो अपने बल पर करो। पढ़ी-लिखी हो, लड़कों से बेहतर स्कोर है तो करो न स्ट्रगल? क्या समस्या है? बाहर लालच दे रहे लड़कों को मत देखो। कल को पलट जाए तो क्या करोगी? सेल्फकॉन्फिडेन्स, सेल्फडिफेंस, सेल्फडीपेंड रहना सीखो तभी पूरी लाइफ अपने हाथों में होगी।

मेरे पास मेरे लायक सब कुछ है। अगर आप को सिर्फ प्रेम चाहिए तो वो मेरे पास है। घर भी है अगर आप उसका मूल्य किश्तों में चुकाना चाहो। लेकिन झूठ, धोखा और अकर्मण्यता में मेरी अपने भर की कमाई से मैं शेयर कैसे दे सकता हूँ? ऐसा नहीं है कि मैं गरीब हूँ। लेकिन मुझे कम से कम में काम चलाना अच्छा लगता है। साथ ही अगले को सेल्फडीपेंड बनाना भी। कल को मैं न रहा तो उसका क्या होगा? इसीलिये।

Polyamory जीवन शैली के चलते प्रेमिकाओं के लिए स्थान खुला है लेकिन यह कहना एक विज्ञापन होगा इसलिये अभी सिर्फ दोस्तों के लिये जगह है। फिर भी फेसबुक से कोई उम्मीद नहीं है। अभी कुछ दिन बाद मैं हीरो बन के जाऊंगा घूमने, तब लड़कियों को कुछ नई बातें बताऊंगा। वहीं से मिलेगी मुझे नई दोस्त, शिष्य और प्रेमिका भी। आप भी दोस्तों, ये झूठ का चोला उतार कर, मेरी तरह नँगे हो जाओ। कमाल का सुकून मिलेगा। नमस्कार। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019© "Daring किया मैंने भी आज माँ!"