Zahar Bujha Satya

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रविवार, सितंबर 22, 2019

सर्वोत्तम ही प्रकृति को प्यारा है ~ Shubhanshu



सर्वाहारियो और vegansim की बहस में मामला दरअसल वनस्पति आधारित भोजन या क्रूरतामुक्त जीवनशैली का नहीं होता। दरअसल मामला ego का है। ये सर्वाहारी अच्छी तरह से जानते हैं कि vegan डाइट का फायदा क्या है? बस ये स्वाद और संगत बदलने में कमज़ोर हैं। इसलिये इनको बस भीड़ का साथ अच्छा लग रहा है। हम भी कभी इनकी तरह थे तो कोई बात नहीं। हम भी बस अपनी ईगो ही पेल रहे कि हम ही सही हैं।

और ये तो iq पैमाना है बुद्धि शक्ति का जो सबको खुद को अपने-अपने स्तरों पर सही ही बताता है।

कुछ लोग टट्टी खाते हैं, कुछ खून पीते, कुछ इंसान को खाते, इंसांनो/जानवरों का बलात्कार करते, सीरीयल किलर बनते हैं, तो वो भी खुद को जीवन भर सही ही मानते हैं और गर्व तक करते हैं।

Adolf हिटलर और नाथू राम गोडसे को अपनी करनी पर सदा गर्व रहा था और कोई आश्चर्य नहीं कि हमें भी खुद पर गर्व है। तो इस समस्या का कोई इलाज नहीं और सभी का सर्वाइवल भी सम्भव नहीं। कुछ लोग सच्चाई को पूरा प्रतिरोध देते ही हैं तभी तो इस दुनिया में अच्छाई के साथ बुराई भी डटी रहती है।

कुछ लोग दुनिया को बर्बाद करने के लिए बच्चे पैदा करके गर्व करते हैं और कुछ लोग दुनिया को बचाने के लिए ही कभी भी बच्चा न पैदा करके गर्व करते हैं।

कुछ लोग धर्मयुक्त होकर कत्लेआम, जातिवाद, नफरत और राजनीति करके गर्व करते है तो कुछ लोग धर्ममुक्त होकर इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं और गर्व करते हैं धर्ममुक्त जयते कह कर।

कुछ लोग नग्न होने को शर्म का कारण बताते हैं और जबरदस्ती शो औफ करके धन बर्बाद करते हैं और उसमें गर्व करते हैं तो कुछ लोग नग्न होने पर गर्व करते हैं क्योकि शरीर ढकने के लिए नहीं बना, उसे हड्डियों को बनाने के लिए धूप की ज़रूरत होती है और पसीना सुखाने के लिए हवा की भी। साथ ही वस्त्र थोपे नहीं जा सकते, ये सदा ही वैकल्पिक रहेंगे। कोई इसे रोकेगा तो ये मानवाधिकार की हानि होगी।

कुछ लोगों को विवाह करना धार्मिक और कर्तव्यों का निर्वाह लगता है क्योकि वे वंशवादी हैं और इसके आधार पर अपने खून पर गर्व करते हैं जबकि दूसरी तरफ विवाहमुक्त लोग हैं जो इसे समस्त मुसीबतों की जड़ मानते हैं और इससे दूर रह कर ही स्वतन्त्र और गौरवशाली महसूस करते हैं क्योकि ये प्रकृति के बहुविवाह नियम के खिलाफ जाता है और इंसान कभी भी एक ही इंसान से बंधा नहीं रह सकता। इसीलिये रोज तलाक और क्लेश होता है जिसमें हजारों जाने चली जाती हैं और गर्भवती महिलाओं की हर 5 मिनट में मौत हो जाती है।

प्रकृति का नियम है "सर्वोत्तम की उत्तरजीविता" और ये परिणाम केवल समय ही दिखाता है। नमस्ते सभी लोगों। बहुत अच्छा लगा आप सबसे बात करके। धन्यवाद! ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©

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