शुभ: दरअसल वे खुद को नहीं, दूसरों को देख कर बड़े हुए होते हैं। सुंदरता, गौर वर्ण, सुरीली आवाज, स्टेमिना (नृत्य) आदि आनंद प्रदान करते हैं। जबकि प्रेम पक्की दोस्ती मात्र है। तो प्रेम में तो कोई बंधन नहीं लेकिन सेक्स में है थोड़ा। बाकी दिमाग है, जैसा शरीर वो पसंद करता है, उसको आप और हम बदल नहीं सकते।
देखिये, प्रकृति का नियम है सर्वश्रेष्ठ का चुनाव। सर्वश्रेष्ठ कौन? जिसका तन-बदन मजबूत और एक समान ज्यामिति में हो। यही सुंदरता निर्धारित करता है। रंग गोरा हो तो वह कम मेहनत करने वाले अमीर घर का लगता है अर्थात उसके साथ रहना आराम दायक होगा। मीठी आवाज से आंनद आता है, और झगड़े नहीं होते इसलिये मीठी आवाज वाले लोग भी पसंद आते हैं। इसका पता गाना गवा कर लोग करते हैं। नृत्य का मतलब होता है कि लड़की या लड़का सेक्स के समय थकेगा या नहीं? सबकुछ जो आपको दुनिया में दिखता है उसकी असली जड़ सेक्स ही है।
अब दिमाग इस को डिफाइन नहीं करता। वह इसको बिना आपको चुनाव का कारण दिए आपका sexmate चुन देता है। हर जंतु अपने से बेहतर के साथ सम्भोग करना चाहता है। ताकि बेहतर पीढ़ी विकसित हो। उसी के लक्षण हैं सुंदरता और रंग को देखना और प्रेम करना। इसमें गलत कुछ भी नहीं। बस समझने के लिए विज्ञान का सहारा लेना पड़ सकता है। बहुत कुछ और भी बातें हैं जिन पर पहले भी लिखा जा चुका है अतः अभी यहीं पर विदा लेता हूँ धन्यवाद! ~ Shubhanshu Dharmamukt 2019©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें