Zahar Bujha Satya

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गुरुवार, सितंबर 12, 2019

एक विद्वान से भेंट ~ Shubhanshu


विद्वान: तू धर्ममुक्त नास्तिकों और Scientific Antinatlist Vegans को बुद्धिमान बता रहा है, साबित कर।
शुभ: 😂 ईश्वर, अल्लाह, god, भूत, प्रेत, पुनर्जन्म, प्रार्थना आदि वास्तविक हैं?
विद्वान: हाँ, और क्या?
शुभ: कभी देखा इनको? क्या भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान में इसका समर्थन देखा आपने?
विद्वान: देखा तो नहीं, लेकिन ये वैज्ञानिक मूर्ख होते हैं। क्या वो बच्चा एक अकेली मादा से बना के दिखा सकते हैं?
शुभ: 😂 जी हाँ, क्लोनिंग इसी विधि का नाम है। केवल मादा के ही शरीर में बिना नर के बच्चा पैदा करना अब सम्भव है।
विद्वान: ओ तेरी! अबे इतनी knowledge लाता किधर से है?
शुभ: 😂 दूध और अंडा, आपके अनुसार जूस/फल/सब्जी हैं?
विद्वान: हाँ, और क्या? दोनो पेड़ पर लगते हैं।
शुभ: 😂 अच्छा था, क्या जंतुविज्ञान और वनस्पतिविज्ञान में कोई अंतर नहीं है?
विद्वान: नहीं, botanists और zoologist एक ही काम तो करते हैं। दोनो मानव के लिए भोजन बनाते हैं।
शुभ: 😂 अच्छा था, फिर बावर्ची क्या करता है? छोड़िये, मानव भी तो zoology में दर्ज एक जंतु ही तो है। वह भी सर्वाहारियो जैसे भालू, कुत्ते आदि का भोजन है। आप भी सर्वाहारी होने का दावा करते हैं, क्या समानता है आपमें और उनमें?
विद्वान: मेरे मुंह में केनाइन दांत है, जो इसका प्रमाण है।
शुभ: 😂 अच्छा था, कहाँ? मुझे तो नहीं दिख रहा।
विद्वान: अरे ठीक से देखो, बहुत छोटा सा है, हल्का सा नुकीला।
शुभ: 😂 हाँ, दिख गया कितने बड़े वाले हैं आप। सर्वाहारी। 😂 तो मानव को कब से खाना शुरू कर रहे हैं?
विद्वान: मानव अपनी ही प्रजाति को क्यों खाने लगा? भालू, भालू को, और कुत्ते, कुत्ते को नहीं खाते।
शुभ: सही पकड़े, अब ये बताओ, आदमख़ोर को मृत्युदंड की सज़ा क्यों दी जाती है यदि मानव, मानव को नहीं खाता? 😂 कहीं मृत्युदंड के डर से तो नहीं खा रहा इंसान सबके सामने? बहुत से रेस्टोरेंट इंसान का मांस बेचते और बहुत से लोग इंसान को खाते पकड़े गए हैं विश्व भर में। कल को आपको कोई खा जाए तो उसका पेट भरेगा। रोकना मत।
विद्वान: अबे, ये तो मैने सोचा ही नहीं।
शुभ: सोचने के लिये बुद्धि चाहिए होती है महोदय।
विद्वान: लेकिन फिर भी इंसान सबसे बुद्धिमान प्राणी है। आप बहुमत का विरोध कैसे कर सकते हो?
शुभ: इंसान की प्रजाति ही बुद्धिमान होती तो मानव अपनी ही पृथ्वी की जान का दुश्मन न बना होता। सज़ा और कानून न होते। झूठ, फरेब, बालत्कार, भ्रष्टाचार, प्रदूषण, धर्म के नाम पर कत्लेआम न होते मानवों में। मानव खतरनाक है, अपनी खुद की प्रजाति, जन्तुओ और वनस्पति समेत पृथ्वी के लिए भी। ग्लोबल वार्मिंग बुद्धिमान मानव की मेहनत का ही परिणाम है।
विद्वान: फिर हम सब मूर्ख हैं क्या?
शुभ: सब नहीं, 96% इंसान। इसी को जांचने के लिये IQ test लिया जाता है। औसत IQ इसी के आसपास आंकड़े देता है विश्व भर में। केवल 4% लोग ही सफल होते हैं जीवन को ecofriendly, healthy और wealthy रूप से जीने में क्योंकि इनमें ही सर्वोच्च बुद्धि होती है। कुछ और साबित करना हो तो कहिये!
विद्वान: न, मैंने आपसे साबित करने को कह कर अपनी ही झंड करवा ली। आप 4% वाले लग रहे हो। माफ कर दे यार!
शुभ: कोई बात नहीं, इसी बहाने आपको कुछ जानने को मिला और मेरा अनुभव बढ़ा। आपको धन्यवाद! 

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