मैं मुंहफट हूँ, बिंदास हूँ। बात सिद्धान्तों की हो, तो बेशर्म भी हूँ। इसलिये मुझमें, आरती उतारने टाइप की नम्रता नहीं है। कोई अगर मेरी सच्ची बातों से, आहत होता है तो होने देता हूँ लेकिन अगर मेरी व्यक्तिगत टिप्पणी या किसी फूहड़ शब्द से आहत होता है तो मैं मनन करके, अगले का दुख महसूस करता हूँ और क्षमा मांग कर, खुद में कुछ और बदलाव ले आता हूँ।
जो गलत होकर भी, सम्मान के प्रति घमंडी हो तो उससे भी रिश्ता मधुर करके, दोबारा पंगा न हो, (चूंकि विचार हिंसक हैं, अगले के तो पंगा होना तय है) इसलिये, उससे सम्पर्क खत्म कर देता हूँ। ताकि शान्ति भी बनी रहे और मैं कुछ रचनात्मक कार्य भी कर सकूं।
जो मुझे समझते हैं, उनको मुझे प्रेम से, कोई ऐसी बात, जो वाकई, मेरे लिए हानिकारक है, जिसे सिद्ध किया जा सकता है, तो समझा सकते हैं और अगर मैं उसे बेकार समझता हूँ, (आपकी समझ की कमी से वह गलत है) तो मुझे वैसे ही स्वीकार कीजिये, या लात मार के चले जाइये।
मैं कोई सवाल नहीं करूंगा। 😍 ये पोस्ट, एक मुस्कान के साथ लिखी गई है। मुस्कान के साथ पढ़ी जाएगी, ऐसी मैं आशा करता हूँ, लेकिन आपकी मर्जी है। जैसे चाहे वैसे पढ़िये। आपकी आज़ादी सर्वप्रथम है। (व्यक्तित्व से जुड़ी पोस्ट/विचार) ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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