Zahar Bujha Satya

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गुरुवार, अप्रैल 30, 2020

Human Rights, Religion, Law and Incest




बाबा आदम की पसली से हव्वा/ईव बनी थी तो वह अपने पिता आदम की पुत्री हुई। दोनो का DNA एक ही हुआ। फिर इनके भी 3 पुत्र हुए। उन्होंने अपनी माँ से ही और पुत्र पैदा किये होंगे, क्योंकि लड़की कोई और थी ही नहीं। अब इस तरह से मानव बने, मानने वाले लोगों को रिश्तों में विवाह, सेक्स गलत लगता है तो वह धार्मिक नहीं हैं।

रही बात ब्रह्मा की तो ये बात उस पर भी इतनी ही सत्य है। उसने भी अपने शरीर से ही सबको पैदा किया तो DNA समान हुआ, यानी सब स्त्री-पुरुष-जंन्तु आपस में खून के रिश्तेदार हुए। अब सनातनी हिन्दू रिश्तों में सेक्स/विवाह का समर्थक नहीं है तो, वह भी धार्मिक नहीं है।

हम जानवरों से सीख सकते हैं कि प्रकृति क्या थी और क्या हम बन गए हैं। प्रकृति भी रिश्ते नहीं मानती थी और पुराने समय में मानव धर्म में भी प्रकृति के नियम मानता था। अब जाकर कुछ सौ वर्षों से पैसा, दहेज, दूसरे घर का अपमान करने के इरादे से विवाह खून के रिश्तों में करना बंद कर दिया गया है। सेक्स का मतलब विवाह ही होता है धार्मिकों की नज़रों में क्योंकि उनको गर्भनिरोधक का पता नहीं था। इसलिये उस पर भी सामाजिक रोक लगा रखी है।

अब आते हैं विज्ञान पर। कुछ शाही परिवारों के वंश का अध्धय्यन करके निष्कर्ष निकाला गया कि खून के रिश्तों में बच्चा पैदा होने पर उसमें कुछ विकृतियों का जन्म होता है। जबकि वास्तविक जीवन में बहुत से ऐसे केस हैं जहाँ खून के रिश्तों से सन्तान पैदा हुई और स्वस्थ है। जबकि दूसरी तरफ ऐसे हजारों केस हैं, जहां रिश्ते से इतर सेक्स से हुए बच्चों में भयानक विकृतियों का प्रभाव था। अतः इस स्टडी को मान्य नहीं माना जा सकता। अगर माना जाता है तो ये सिद्धांत जीवन की शुरुआत में मानवों के अस्तित्व पर ही प्रश्न खड़े कर देता है।

अब बात कानून की। कानून विवाह को धर्म का उत्पाद मानता है और कोर्ट मैरिज में धर्म पूछा जाता है। मनुस्मृति पर आधारित विवाह मॉडल भारतीय हिन्दू मैरिज एक्ट में अपनाया गया है। यही मॉडल स्पेशल मैरिज एक्ट में भी हिन्दू धर्म से जुड़े मानव पर लागू किया जाता है। यानि हिन्दू होकर के आप हिन्दू मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट में एक विशेष रिश्तों की लिस्ट के अनुसार आपस में रिश्तेदार नहीं हैं तभी विवाह मान्य होगा। ऐसा अन्य धर्मों में नहीं है। कानून के हिसाब से भारत में जन्में सभी धर्म हिन्दू हैं। केवल बाहर उत्तपन्न हुए धर्मों को ही इस नियम से अलग रखा गया है। अर्थात कोई इसाई, मुस्लिम अपनी सगी-मां-बहन-पिता-पुत्र-पुत्री आदि से विवाह करने के लिये स्वतंत्र है।

अब आते हैं कानूनी अधिकार पर। भारतीय संविधान और वैश्विक मूल अधिकारों के अनुसार कोई भी मानव किसी भी वयस्क विपरीत या समान लिंग (जेंडर) के व्यक्ति के साथ सहमति से रह सकता है, सम्भोग कर सकता है और चाहे तो बच्चे भी पैदा कर सकता है। इनमें इंसानो से रिश्ते जैसा कोई भेदभाव नहीं किया गया है। यदि कोई रोकटोक करता है तो 2 या दो से अधिक सेक्स पार्टनर उसके खिलाफ पुलिस में मानसिक और शारिरिक प्रताड़ना का केस दर्ज करवा का उनको जेल पहुँचा सकते हैं। कानून कोई भेदभाव नहीं करता है अतः इन विरोधियों में शामिल आपके रिश्तेदार भी जेल भेजे जा सकते हैं।

नोट: ये पोस्ट केवल 18 वर्ष से अधिक के लोगों पर ही लागू होती है। सेक्स का मतलब सहमति से मैथुन है। सहमति का मतलब स्वेच्छा से दी गई सहमति है। बलपूर्वक या मजबूर करके ली गई सहमति बलात्कार मानी जायेगी। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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