Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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शनिवार, अप्रैल 18, 2020

Nonviolence first then self-defense




एक बार स्कूल में गुस्सा हो गया था। एक लड़के को 4 टांके आये। फिर उसने माफी मांगी तो माफ कर दिया।

फिर कॉलेज में गुस्सा हो गया था तो 10 लड़कों ने मुझे पकड़ कर उस लड़के को मुझसे बचाया। कह रहे थे, "भाई, वो कमज़ोर है, मर जायेगा।" तब उसने माफी मांगी तो माफ कर दिया।

एक लड़के ने मुझे दोस्ती का धोखा देकर एक लड़की के मन में मेरे बारे में झूठ भरा। उसे जाने दिया। फिर दूसरे कॉलेज गया उधर भी एक लड़के ने मेरे बारे में गलत बातें फैलाई, उसे सिर्फ डरा के छोड़ दिया क्योंकि वो भी दोस्ती का नाटक करके धोखा दे चुका था।

फिर डिप्लोमा की क्लास में सब लड़के दुश्मन बन गए, क्योंकि लड़कियों को मैं पसन्द था। उधर भी लड़ाई टाली।

अब फेसबुक है, सोच रहा कि इधर शब्दों से क्या लड़ना? कभी-कभी कुछ बोल देता हूँ, गुस्सा आने पर, लेकिन लिमिट में।

शायद इसीलिए लोगों से रैंडम नहीं मिलता। केवल अच्छे भले लोगों से ही मिलना सम्भव होगा भविष्य में। अनजान लोगों से मिलना खतरनाक है।

क्या पता कोई कुछ गलत कर दे? या तो मैं मारा जाउँ या फिर अगले का सारा वजूद मिट जाए या मुझसे कुछ न हो सके और मैं ही पिट कर वापस आ जाऊं। कुछ कह नहीं सकते। अब तो यही सीखा है कि अगर लड़ना आवश्यक न हो तो झगड़े से दूर रहो। एक भी रास्ता अगर हिंसा के बिना निकलता है तो निकाल लो। गुस्सा आये तो अगले से दूर हो जाओ। वो जगह छोड़ दो।

कोई तुम्हारी जगह पर ऐसा करे तो उसे बाहर कर दो या बाहर जाने को कहो। सम्पर्क काट दो, सारे उससे। बस ज़िन्दगी सुकून से जी लो। बस यही मेरी इच्छा है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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