दुनिया के लिए, शाकाहारी (vegetarian), सर्वाहारी (omnivores) से ज़्यादा ख़तरनाक हैं। सर्वाहारी को आप समझा सकते हो कि वह गलत है लेकिन शाकाहारी डेयरी/शहद का सेवन करके भी, खुद को निरवैद्य (Vegan) समझता फिरता है। जिसे समझाना बहुत कठिन है।
डेयरी में मानवीय बलात्कार (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) द्वारा पैदा हुआ, नर बछड़ा/कटड़ा, कसाई के पास भेजा जाता है और दूध देने से फ़ारिग होकर गाय/भैंस/बकरी भी कसाई के पास ही भेजी जाती है।
तो सर्वाहारियों को मांस की खेप कौन दे रहा है? डेयरी का सेवन करने वाले शाकाहारी ही न? तो निर्दोष गुलाम बना कर तड़पाये, इस्तेमाल किये गए जानवर की हत्या के असली ज़िम्मेदार कौन लोग हैं? सर्वाहारी या शाकाहारी?
बुद्धि का प्रयोग कीजिये। जानवरों की खेती करने से 12% ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है। निर्दोष जानवरों को कष्ट होता है और उनके अधिकारों का हनन भी। जो हम स्वयं के लिए नहीं चाहते, वह हम दूसरे के साथ कैसे कर सकते हैं? अगर करते हैं, तो हमको भी खुद के साथ ऐसा होते हुए देखने की आदत डाल लेनी चाहिए। पुलिस और कानून का लाभ नहीं लेना चाहिये।
अभी भी समय है, निरवैद्यवाद (Veganism) अपनाइये और खुद को निर्दोष, दयालु, सकारात्मक, पर्यावरण प्रेमी, पशुप्रेमी, ज्ञानी, बुद्धिमान और स्वास्थ बनाइये। (सलाह है कोई आदेश नहीं) ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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