सर्वप्रथम वस्तु या बात पर अंधविश्वास होता है। वेरिफिकेशन के बाद विश्वास होता है। जिस वस्तु या बात का वेरिफिकेशन या पुष्टि हो जाती है वह वस्तु या बात सत्य साबित हो जाती है। कुल मिला कर सत्य पर ही विश्वास होता है। इस पुष्ट विश्वास के आधार पर हम अब सत्य वस्तु या बात को और लोगों को दे सकते हैं बिना किसी गलती के।
पुष्टि/verification अंधविश्वास को अंततः आंखें दे देता है। जिससे देख कर अब सत्य/असत्य का पता लगाया जा सकता है। यह घटना विश्वास कहलाती है जो कि पुष्ट है। अब हम पुष्टि करी हुई बात पर बिना दोबारा पुष्टि किये विश्वास कर सकते हैं जबतक पहले वाले विषयवस्तु में कोई अन्य बदलाव नहीं आते। ~ Shubhanshu Dharmamukt
किसी प्रतिष्ठित संस्था/पत्रकारिता/व्यक्ति पर विश्वास करने का कारण-
हम जो व्यक्ति अपनी जान जोखिम में डाल कर कुछ कहता है तो उस को ज़िम्मेदार व्यक्ति मानते हैं। उस पर विश्वास इस आधार पर किया जाता है कि इसका वेरिफिकेशन होने पर और गलत निकलने पर अगले को जेल भेजा जा सकता है। इसीलिए फेक न्यूज देना अपराध घोषित है। एक बात इसके लिये प्रचलित है वह है, "मरते समय इंसान कभी झूठ नहीं बोलता।" ~ Shubhanshu 2020©
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