दो तरह के लोग आलोचक होते हैं। एक असली वाले जो मित्रवत प्रेमवश आपकी कमी और खूबी दोनो बता कर आपको परफेक्ट बनाते हैं और दूसरे जो सिर्फ कमी निकालते हैं और आपकी खूबी का कृतघ्नता से फायदा उठाते हैं।
ये कृतघ्न लोग आपको हतोत्साहित करने आते हैं। ये आपके ऊपर ताना भी मारेंगे जबकि वे एक नम्बर के घटिया इंसान होंगे। खुद पर घमण्ड इनको किसी एक क्षेत्र में सफल होने के कारण होता है तो जो भी कई अन्य क्षेत्रों में सफल होता है, ये उससे नफरत करते हैं। उसको हतोत्साहित करके गिरा देना इनकी रणनीति होती है।
वह भला इंसान हो, इनकी मदद करता हो, तो ये उसे मूर्ख समझते हैं। उसकी अच्छाई को कमज़ोरी समझते हैं। ये घटिया इंसान होने का प्रमाण है।
ऐसे लोग कभी भी अपने से बेहतर को दोस्त नहीं बनाते। वो उससे सिर्फ फायदा उठाते हैं। ऐसे दोस्तों की पहचान कीजिये। इनको जितनी जल्दी लात मार सको, मार दीजिये। ये इंसान ही नहीं हैं। इनसे दूर रहिये। हालांकि जो भी गलती वे बताएं उसको सुधार अवश्य लें। उसका धन्यवाद भी अवश्य देकर अपनी अच्छाई बनाये रखिये। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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