विरोध कैसा होना चाहिए?
1. सुबूतों और तर्कों के आधार पर।
2. अनुमान केवल सावधानी हेतु लगे हों, न कि जबर्दस्ती नफ़रत पैदा करवाने वाले।
3. बकलोली न हो कतई। उतना ही बोलिये जिसका जवाब सुबूत और तर्क से दे सको।
4. निष्पक्ष हो, अंधविरोध न हो। ऐसी धारणाएं जो कहें कि अगला जो भी करेगा, गलत ही करेगा, मूर्खतापूर्ण है। दरअसल ऐसा केवल घटिया राजनीतिक लोग करते हैं जिनको हमेशा विरोधी पार्टी के लोग अपनी राह के कांटे ही दिखते हैं।
वास्तव में वे हैं भी। क्योंकि जब तक अगला अच्छा कार्य करेगा तब तक वह सत्ता में रहेगा और तब तक क्या विपक्षी पार्टी अंडे देगी? इसलिये वह गंदी राजनीति पर उतर आते हैं।
लेकिन हम जैसे निष्पक्ष लोग इनको पल भर में पहचान कर इनको इनकी सही जगह पर पहुँचा देते हैं। इंसान ही रहिये। धन का लालची बन कर इंसानियत मत भूलिये। सही को सही और गलत को गलत कहना ही धर्मजातिमुक्त और वास्तविक बुद्धिमान इंसान होना है। जो आज कोई बनना ही नहीं चाहता। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें