Zahar Bujha Satya

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रविवार, अप्रैल 19, 2020

Religious people treats girls as a Sex Doll



जो भी दो वयस्क लोगों को अपनी खुशी से सेक्स से रोके, वह व्यक्ति तानाशाही प्रवर्ति का है उसको पुलिस में दे सकते हैं।

रिश्ते नाते धर्म की देन हैं जो उनको मानता है वह धर्ममुक्त इंसान नहीं हो सकता। धार्मिक इंसान अवश्य हो सकता है।

विवाह धर्म की देन है और रिश्ते विवाह के बाद बनने शुरू होते हैं। यानी वह भी धर्म की देन हुए। विवाह निकाल दो तो कोई रिश्ता नहीं बनता। फिर सब आज़ाद हैं प्रेम और सम्भोग करने के लिये।

बाकी किसी को किसी के सहमति पूर्वक सेक्स करने से क्या खुजली है? पता नहीं। कोई भी सेक्स छुप कर ही करता होगा, तो क्या पता कौन किसके साथ कर रहा है? मेरा तो मानना है जो इस तरह के सेक्स का विरोध करता है, वही वास्तव में अपनी माँ-बहन-बेटी-बहू-नाती से बलात्कार करता होगा। तभी उसका राज़ किसी को पता न चल जाये इसलिये विरोध करता है। इसे कहते हैं चोर की दाढ़ी में तिनका।

कट्टर धार्मिक भी incest करते हैं। बस वो प्रायः बलात्कारी होते हैं। जबकि जानवर और नास्तिक/धर्ममुक्त सोच के लोग सहमति और प्रेम से incest कर सकते हैं।

बलात्कार दूसरों का करने में लड़की और उसके परिवार का अपमान होता है क्योकि 'विवाह नहीं होगा अब' ऐसा सोच कर जबकि गलती लड़की की नहीं होती बलात्कार में। फिर भी उसे गन्दा और अयोग्य माना जाता है किसी और का वंश चलाने के लिए।

इसलिये ये लोग खुलेआम नहीं स्वीकार करते कि अपनी मां, बहन, बेटी और बहू का बलात्कार किया है इन्होंने।

जो लोग अनजान नर-मादा का विवाह करके कमरे में लड़की को बिना सेक्स का ज्ञान (खुद ही नहीं होता) दिए बन्द कर देते हैं। उसका बलात्कार लगभग खुले आम (लड़के के परिवार के समीप) होता है।

लड़की की चीखों से पता चल जाता है और सारा परिवार चुपचाप सुनता है। उसका समर्थन करने वाले लोग सहमति शब्द का मतलब ही नहीं जानते। इसलिये वे बलात्कार को ही सेक्स समझते हैं, जो बाहर वाली मादा के साथ हो तो अगले का अपमान होगा और अपने घर की मादा हो तो अपना।

लेकिन खुद की आदिम instinct पर कंट्रोल न होने के कारण वे सहमति पूर्वक सेक्स की जगह धर्म में मना होने के कारण मादा द्वारा सहमति न मिलने पर बलात्कार करते हैं और किसी को पता नहीं चलने देते क्योंकि तब उनके धर्म का और परिवार का उनकी बिरादरी में अपमान होगा। उसका भी कारण उनकी लड़कियों का विवाह है जिसे करके हर धार्मिक उन्हें ठिकाने लगा देना चाहता है। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©

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