मैं कभी समझ नहीं पाया कि जो लोग प्रायः गणित में अच्छे होते हैं वे अपने बाकी जीवन में प्रायः मूर्ख क्यों दिखते हैं? क्या गणित जीवन जीने के लिये पर्याप्त नहीं है? शायद नहीं। गणित सीखी जाती है। बुद्धि जन्म से होती है। 10 वर्ष की आयु तक विकसित होती है।
प्रश्न: मुझे कैसे पता चला?
उत्तर: लोगों के विचार, बातें और समस्याओं ने बताया। उन्होंने ही बताया कि वे गणित में बहुत अच्छे हैं लेकिन अन्य विषयों और जीवन में इतने बुद्धिमान नहीं हैं कि समस्या का खुद हल ढूढ़ सकें। इसलिये उन्होंने मुझसे आकर हल मांगे।
प्रश्न 2: बहुत से विद्वान लोगों को गणित के कारण ही बड़ी सफलता मिली और वे प्रसिद्ध हुए। क्यों?
उत्तर: बिल्कुल, तभी ये पोस्ट बनाई गई है। गणित हम क्यों पढ़ते हैं? इसी के उत्तर में सारा रहस्य छुपा है। गणित की पढ़ाई, हम प्रायः नौकरी पाने के लिये करते हैं। नौकरी यानि बहुत से ऐसे कार्य जिनका इस्तेमाल आधुनिक सुविधाओं के लिये होता है। उनमें आपका इस्तेमाल कैलकुलेटर की तरह करने का कार्य। ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझाने, तर्क करने के गणितीय तरीकों से बहुत से रहस्य समझने में सफलता मिली है।
गणित इस दुनिया के विज्ञान का आधार है, लेकिन इसे विद्यालय में समझने भर से आप किसी उद्योगपति के लिये उपयोगी बनते हैं न कि खुद के लिए। खुद के लिये उपयोगी बनने के लिए आपको कुछ नया खोजना होगा। वो करना ही बुद्धिमान होने की ओर एक कदम है।
इससे पहले तो आप केवल एक मेमोरी (स्मृति) मशीन हैं जो नियतांक, log, त्रिकोणमिति के मान, आदि रट कर उनकी मदद से गणना कर लेते हैं। इससे कुछ नया नहीं बनता। असली जीवन में इसका कोई कार्य ही नहीं है।
आप कोई अनुसंधान में नहीं हैं। आप साधारण इंसान हैं और तब ये आपके जीवन में हिसाब-किताब रखने से ज्यादा कुछ काम का नहीं रह जाता। अतः आप ग़लतियों का ढेर लगा सकते हैं। गणित का कार्य अगर सबकुछ सिखाना होता तो आपको 5 या 7 विषय एक साथ न पढ़ाये जाते।
जिन लोगों ने गणित से प्रसिद्धि पाई, अधिकांशतः वे ईश्वर को मानते रहे। क्या ये उनकी बुद्धि की सीमा को नहीं दर्शाता? क्या गणित से वे ईश्वर को साबित कर सके? नहीं, फिर भी उसे मानना मूर्खता नहीं तो क्या है? 😊
जबकि IQ में गणित की बड़ी भूमिका होती है। 🤣
😊 अब मुझे तो गणित ठीक से नहीं आती। न किसी ने सिखाई और न ही रुचि थी। फिर भी जीवन में अपनी समस्याओं को हल कर लेता हूँ। मेरे अनुमान से गणित का बुद्धिमान होने से कोई लेनदेन नहीं है।
बुद्धिमान इंसान भी गणित सीख सकता है और एक औसत बुद्धि का मानव भी।
जिनके मस्तिष्क का आधा हिस्सा (तर्कवादी और गणनात्मक) दूसरे (कलात्मक) से अधिक विकसित हो वे गणित के क्षेत्र में नई खोज करके पारंगत भी हो सकते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि अंधविश्वास जैसे मूर्खता से दूर ही हों। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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