किस्मत क्या है? किसी के साथ लगातार अच्छा होना या लगातार बुरा होना। अच्छा होना good luck और बुरा होना bad luck.
किस्मत को बदला नहीं जा सकता, ये माना जाता है। इसीलिये इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। किस्मत/भाग्य/luck शब्द दरअसल विधि के विधान की ओर इशारा करता है। लोगों की मान्यता है कि भाग्य पहले से लिखी कोई योजना है जो आपकी मर्जी के बिना ही आपको ऊंचा या नीचा गिरा सकती है। नीचे गिरने को बुरा भाग्य और ऊपर उठने को अच्छा भाग्य कहा जाता है। इसे केवल देखा और महसूस किया जाता है परंतु नियंत्रित नहीं किया जा सकता, ऐसी मान्यता धार्मिक दे गए हैं।
परन्तु इतिहास गवाह है कि बहुत अधिक सफल लोगों के पास कोई न कोई लकी वस्तु होती है। कुछ मामलों में तो किसी का दोस्त, कोई पोशाक, कोई जानवर भी लकी पाया गया है। हैरी पॉटर की कहानी में भी लकी पोशन यानि भाग्यशाली काढ़ा सारी कहानी पलट देता है। इसे सबसे ताकतवर काढ़ा माना जाता है। कभी लकी सिक्का, कभी लकी जर्सी, कभी लकी ब्रेसलेट, कभी ताबीज आदि तमाम वस्तुओं को लोगों ने अपने लिए लकी बताया है।
ये सब बातें किसी न किसी वास्तविक सच्चाई की ओर इशारा कर रही हैं। कैसे कोई इतना मेहनती व्यक्ति अपनी जीत को एक वस्तु को समर्पित कर देता है? जब कभी भी ये लकी वस्तु उनके पास नहीं होती है तो वे वाकई हार जाते हैं।
कई मेधावी छात्र इसी प्रकार के टोटके को मानते देखे गये हैं। वे इनको कई बार आजमाते हैं, हर बार उनका अनुमान सही निकलता है। वे उसे धोते नहीं। उसे वैसा ही रखते हैं जैसा उनकी पहली जीत के समय वह था।
इस प्रकार यह तो तय है कि बहुत से अमीर मानते हैं कि उनकी मेहनत तो थी ही परंतु उनके साथ उनका भाग्य भी था। तभी वे बाकी अपने प्रतिद्वंद्वीयों से आगे निकल सके। इन बातों ने इतना प्रभाव डाला कि इन लकी वस्तुओं की चोरियां तक हुईं। उनको वापस पाने के लिये मुंहमाँगे इनाम रखे गए।
कहने का तातपर्य है कि बहुत लोग भाग्यवादी होते हैं और उपर्युक्त उदाहरणों से धार्मिक मान्यताओं जिनमें 'भाग्य बदला नहीं जा सकता', जैसा बताया गया है की धज्जियाँ उड़ जाती हैं।
मतलब ये तो पक्का हो गया है कि ये कथित भाग्य अटल तो कतई नहीं है। इसे बदला जा सकता है। उपर्युक्त उदाहरण कहते हैं कि भाग्य वस्तुओं से भी बदल सकता है। जबकि वैज्ञानिक जांच से हर लकी वस्तु दूसरी किसी वस्तु की तरह ही साधारण पाई गई। फिर इनमें ऐसा क्या था कि इनके धारक इनमें कोई शक्ति महसूस करते हैं?
इन सब सवालों के वैज्ञानिक सिद्ध जवाब मेरे पास हैं। कथित भाग्य होता तो कुछ नहीं है, परंतु आप इसे बना सकते हैं। कुछ भी पहले से लिखा नहीं है। सब आप अपने मन से लिख सकते हैं। आप अपना भविष्य अभी तय कर सकते हैं। ये पहले से निर्धारित भविष्य ही आपका असली भाग्य है। मैं इसी नये बने भाग्य को ही सरलता से समझाने के लिए पुराना भाग्य नाम दे रहा हूँ क्योंकि ये नया वाला उसी काल्पनिक जैसा कार्य करता है। दरअसल विज्ञान ने उपर्युक्त घटनाओं में छिपा रहस्य खोज लिया है।
हाँ आप अपना भाग्य बना सकते हैं। ये एकदम जादू की तरह महसूस होगा क्योकि आपको उसकी विधि पता नहीं होगी। बस उसका परिणाम पता होगा। बिल्कुल जैसे कहा जाता है कि कर्म करो, फल की चिंता मत करो। फल मीठा ही मिलेगा।
निराशा हमारी खुद की बनाई बदकिस्मती है। जब हम निराश होते हैं तो हम बर्बादी की ओर बढ़ जाते हैं। अब हम जो भी करेंगे, परिणाम बुरा ही होगा। इसलिए नकारत्मकता से दूर रहने को कहा जाता है। इसीलिए अच्छा सोचने और बोलने को कहा जाता है।
आपने मनहूसियत और काली जुबान वाले लोगों के बारे में भी सुना होगा। इसके पीछे भी यही रहस्य कार्य करता है।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक मेंटलिस्ट डैरिन ब्राऊन ने इस पर कई प्रयोग किये और कई लोगों की बदकिस्मती को खुशकिस्मती से बदल दिया। इसका प्रसारण टेलीविजन पर हो चुका है। यूट्यूब पर आपको इसके बहुत से वीडियो मिल जाएंगे।
यानि कुल मिला कर किस्मत होती है और इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह एक मानसिक उपकरण की तरह है। जो वाकई कार्य करती है। अच्छा या बुरा? ये आप तय करेंगे।
हैरिपोटर की कहानी में हैरी भाग्यशाली काढ़े को रौन वीसली के पेय में डालने का ढोंग करता है और रौन वाकई बेहतर प्रदर्शन कर देता है। यानि बात काढ़े की, लकी वस्तु की नहीं है। ये है आपके मन की। ये मन मैं काबू करना सिखाता हूँ। मैं हूँ the luck builder! ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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