प्रचलित धार्मिक (रिलिजियस) दिखने के लिये डरपोक होना ज़रूरी है और प्रचलित धार्मिक होने के लिये मूर्ख होना ज़रूरी है।
प्रचलित धर्म: मानव निर्मित एक ऐसी नौटंकी जिसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
प्राकृतिक धर्म: प्रकृति ही सबका पहले से स्थापित धर्म है। हम सब जीव-जन्तु एक समान हैं। सबको यहाँ अपने प्राकृतिक स्वभाव के अनुसार जीवन जीने का हक है। अतः हम सबका धर्म हमारा अपना स्वभाव है जैसे हर जानवर का अपना स्वभाव होता है।
संविधान: जो स्वभाव से परे जाते हैं उनके लिये संविधान है। अर्थात व्यवस्थित समाज में अव्यवस्था फैलाने वाले लोगों और जन्तुओ को रोकने, कैद करने व सज़ा देने का विधान! ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
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