आपत्ति: जो आपकी सोच के विपरीत या खिलाफ़ है आप उसे खुद से दूर कर देते हैं। इस तरह आप भी वर्णवाद कर रहे हैं।
शुभ: कोई मेरी सोच के खिलाफ नहीं है। दरअसल वे विज्ञान और नैतिकता के खिलाफ हैं। मेरी सोच कोई धार्मिक या अवैज्ञानिक मान्यता नहीं है जो साबित न की जा सके। इसलिये यह स्पष्ट है कि गलत और सही को अलग करना सम्भव है।
घटिया इंसानो की संगत करने से घटिया ही बनते हैं। जब कोई अपराध करता है तो उसी समय निर्दोष और अपराधी के गुट बन जाते हैं।
इसलिये गलत और सही, चोर और पुलिस में यदि वे वाकई में अपने प्रति ईमानदार हैं तो दोस्ती नहीं हो सकती। गलत और सही विज्ञान और नैतिकता तय करती है। नैतिकता हम जो खुद के लिए व्यवहार चाहते हैं वही दूसरो से करें यह तय करता है। अपराध कानून तय करता है।
ऐसा लगता है कि गलत और सही आपका नज़रिया होता है। परंतु फिर कानून किसी को गलत कैसे ठहराता है? दरअसल गलत और सही, दूसरे निर्दोष का नुकसान करने वाला या उसके अधिकारों का हनन करने वाला ही होता है और इसे कोई नज़रिया नहीं बदल सकता। ~ Shubhanshu Dharmamukt 2020©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें