😒: सुनिए माँ, कल सुहाग रात पर उन्होंने कुछ नहीं किया। मैंने कपड़े उतारे तो मुझे बार-बार देख के वे बाथरूम आते-जाते रहे पूरी रात।
😂: शुभाँशु होगा, साला! बहुत हस्तमैथुन पर लिखता रहता है। (अचानक पापा टॉयलेट से बाहर आये और सुनकर बोल पड़े)
😬: ख़बरदार! जो उनके बारे में एक लफ्ज़ भी मुहँ से निकाला तो! शुभाँशु जी को इतना पढ़ते हैं कि ये भी भूल गए कि शादी आपने किसी और से कराई है जबकि वे तो विवाहमुक्त हैं। समझे आप लोग? मैं जा रही उनके पास। तलाक के पेपर ये पड़े हैं। मैंने साइन कर दिए हैं।
पापा की बोलती बंद हो गयी थी।
😞: लेकिन बेटी उस कलमुहे के पास क्या काम है तुमको? माँ पीछे से बोली।
😬: आपसे मतलब? जो काम कल अधूरा रह गया था वह पूरा करना है मुझे। दनदनाते हुए लड़की शुभाँशु जी से बताई हुई जगह पर मिलने चल दी।
कुछ समय बाद
शुभाँशु: जी कहिये, आपने व्हाट्सएप पर कहा कि आपके पास कोई ज़रूरी जानकारी है मेरे लिये?
💋: है न! Now I am single again! 💓
शुभाँशु: देखिये मैडम आप मुझे गलत समझ रही हैं। मैं कोई ऐसा-वैसा लड़का नहीं हूँ। मैं शरीफ़ लड़का हूँ। 😨
💋: क्या नाटक लगा रखा है? फेसबुक पर तो बड़ी-बड़ी डींगें हांकते हो! इतने घण्टे तक, उतने घण्टे तक, जब लड़की सामने आई तो फुस्स?
शुभाँशु: अरे! क...क्या कह रही हैं! आप तो एक दम भूखी लग रही हैं।
💋: सही पकड़े हैं। भूखी ही तो हूँ। पूरी रात नींद नहीं आई मुझे भूख के मारे।
शुभाँशु: चलो पास में ही एक अच्छा ढाबा है। वहीं खाना खा लेते हैं। 😓
😞: काहे सारे मूड की वाट लगाए दे रहे हैं? हम आपके इतने बड़े फैन हैं और आप हैं कि...चलिये जाने दीजिये। शायद हम आपको पसन्द नहीं आये।
शुभाँशु अचानक बेहद गम्भीर होकर बोला: देखिये मैडम! मेरे बारे में कोई धारणा मत बनाइये। मैं ऐसे ही किसी ऐरे-गैरे के साथ बिस्तर पर कबड्डी नहीं खेलने लगता हूँ। मैं ओपन माइंडेड अवश्य हूँ लेकिन मैं जब चाहें जिसके लिए चाहे, उपलब्ध भी नहीं हूँ।
जब तक हमारे बीच में अपनापन नहीं होता, मेरा यह ज़िस्म गर्म नहीं होगा। आप बहुत खूबसूरत और सेक्सी अवश्य हैं लेकिन इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मेरे लिये मेरी साथी सिर्फ माँस का लोथड़ा नहीं है। वह जैसे मेरा अपना एक अंग है। जब तक वह ऐसी नहीं बनती, तब तक मुझे वह वासना से देखना भूल जाए।
यही कारण है कि मैं कभी सेक्स के बाज़ार नहीं जाता। मैं जा ही नहीं सकता। मैं पोलिगेमस अवश्य हूँ लेकिन हर ज़िस्म का भूखा भी नहीं।
मेरे लिये वासना प्रेम के बाद आती है। बाकियों का मुझे पता नहीं। हो सकता है कि मैं आपके साथ दोस्ती कर सकूँ लेकिन फिर मैं उस दोस्ती को कभी तोडूंगा भी नहीं। हो सकता है, ऐसे ही मैं अपने जीवन में बहुत सी दोस्त बनाऊं, जिनमें से कई साथी वासना तक भी पहुचें लेकिन आपको परिग्रह (possessiveness) त्यागना होगा। उनसे मित्रवत व्यवहार वैसे ही करना होगा जैसे आप अपने कॉमन मित्र के साथ करती हैं।
हम में से कई अगर चाहें तो एक साथ एक ही समय में अंतरंग (इंटिमेट) हो सकते हैं। झिझक त्यागनी पड़ सकती है। यह एक और वर्जना तोड़ेगा। ईर्ष्या होगी, मुझे आपके किसी मित्र से तो आपको मेरी मित्र से इर्ष्या अवश्य होगी। लेकिन उस पर नियंत्रण करना सीखना होगा। ऐसा आपसी विश्वास से होगा।
भरोसा यहाँ रिश्ते बनाता है। असली रिश्ते। कोई कागजी या धागे वाले रिश्ते नहीं। जैसे मैं दोस्ती के लिये आज़ाद हूँ वैसे ही आप भी हैं। यहाँ कोई दोहरा मापदंड नहीं होगा। केवल STDs और गर्भावस्था से सुरक्षित रहिये। हमेशा 5 कंडोम का पैकेट अपने साथ रखें। 3 खत्म होते ही, 5 का पैक और ले लीजिए।
सेक्स और प्रेम को मिलाना नहीं है; हालांकि उनको जब चाहें सक्रिय करना आ जायेगा समय के साथ। सेक्स की इच्छा हो और मैं उपलब्ध न होंउं तो आप स्वतन्त्र हैं, उसकी सुरक्षित पूर्ति के लिए। No strings attached!
अभी इतना ही। बाकी फिर कभी। अभी तो पहली date है। हिल गईं न? कोई बात नहीं। आप पहली नहीं हैं। सभी को शुभ पहली बार बुरा ही लगता है।
🙏: आपके चरण कहाँ हैं शुभ जी! I am in love with you!
शुभाँशु: अब तेल लगाना बन्द कीजिये। आप मेरी इज़्ज़त करने लगी हैं, न कि आपको इतनी जल्दी प्यार हो गया।
🙇: यार आप हो किस ग्रह के? इतना आदर्श आप लाते किधर से हैं? फिर उसको जीवन में भी उतारना! आदमी हो या कोई एलियन हो? मुझे कोई ऐसा नहीं दिखा कभी और न ही दिखने की उम्मीद है कभी। पता नहीं आपकी जगह मैं किसी और के प्रति आकर्षित हो भी पाऊंगी या नहीं। एक किस दोगे लिप 2 लिप प्लीज़?
शुभाँशु: मंजन तो किया है न?...मजाक कर रहा हूँ। आओ तुम भी क्या याद करोगी कि किसी दिलदार से पाला...उफ्फ..kiss 💋.
लड़की ने बात पूरी होने से पहले ही शुभाँशु के सिर को पकड़ कर अपने होठ उसके होठों पर रख दिये और दोनो आनंद के सागर में डूबते चले गए।
कुछ पलों बाद
शुभाँशु: बस बस! अभी इतना काफी है। चलो मूवी देखते हैं। कह कर शुभाँशु और वह लड़की एक मल्टीप्लेक्स में जा घुसे। दोनो ने अपने-अपने टिकट खुद लिए।
आगे की कहानी खुद सोचते रहिये। इतना काफी है। कैसी लगी कहानी? ज़रूर बताइएगा। धन्यवाद्! ~ शुभाँशु जी 2018© 5:53 am, 25th may 2018
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