Zahar Bujha Satya

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बुधवार, मई 30, 2018

Shubhanshu: एक अकेला

मित्र: आप बताइये शुभाँशु जी, आपको ज्यादा पता है।

शुभ: हाँ, मुझे सच में ज्यादा पता है। क्यों न हो? जिस इंसान ने सारी जिंदगी अपनी मदद से अकेले गुजारी हो उसे ज्यादा पता होना ही होता है। मेरे पास कोई नहीं था जिससे मैं कुछ पूछ सकता।

इसलिये जो किया खुद ही किया। खुद ही जाना, खुद ही दुनिया के सभी रंग देखे। हाँ मैं घायल हुआ, बहुत ज्यादा हुआ लेकिन मरहम भी मुझे ही लगाना था और पट्टी भी मुझे ही बांधनी थी।

इसलिये मैं डॉक्टर भी बना, वकील भी, अपनी रक्षा भी खुद करनी थी तो मैं पुलिस भी बना, अपना गुरु भी मैं ही हूँ और अपना शिष्य भी मैं ही हूँ। आज आप मुझसे पूछ सकते हैं लेकिन याद रखिये मुझे किसी ने नहीं बताया था। ~ शुभाँशु जी 2018©

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