चलो सभी फालतू कपड़ों को आग लगा दें। खुद को गंदगी समझना बन्द कर दें। जिसे छिपाना पड़े। आप यह पतले, मोटे, गोरे, काले, बड़े, छोटे, स्वर्ण, अछूत का भेद खत्म कर दें।
समानता बिना कपड़े उतारे कभी नहीं मिलने वाली। आप जो भी खरीद लीजिये। दूसरा उस से महंगा खरीद कर चिढायेगा।
इसे खत्म करना होगा। यह बहुत कुछ बदलने वाला है। किसी को पता भी नहीं कि फैशन इंडस्ट्री विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इंडस्ट्री है। क्या यह ज़रूरी थी?
नहीं। हमें बस एक कम्बल, एक चादर की ज़रूरत है, मौसम की मार से बचने के लिए। एक कमर से बंधा बैग या पिट्ठु बैग चाहिए अपना ज़रूरी सामान लेकर चलने के लिये। जो आज भी हम लेकर चलते हैं।
सुरक्षा के लिये विशेष जैकेट प्रयोग करना होगा। प्रदूषण से बचने के लिए मास्क। जब यह आम होने लगेगा। तब इसके लिए सुविधाएं और इसका भी बाजार आ जायेगा। करना क्या है? विश्वास, सुरक्षा, सहयोगी माहौल चाहिए। सुरक्षा के लिये पिस्टल लीजिये। होलेस्टल में डाल कर पहनिए उसे।
अभी यह अपने कमरे में आप शुरू करें। मिल कर बात करते रहें बाकी घर और मित्र सदस्यों से। फिर हिम्मत करके पारिवारिक विश्वास को जांचें। फिर मित्रो (समान लिंग) को शामिल करें। और फिर एक कम्युनिटी बना लीजिये।
समूह में हम ज्यादा हिम्मत महसूस कर सकते हैं। जब हम क्या सही है और विश्वास करना व निभाना सीखते हैं तो यह गैर जरूरी शर्म खत्म हो जाती है।
जब हम समान लिंग के बाथरूम में होते हैं तो कोई शर्म सामने नहीं आती लेकिन विपरीत लिंग पर हमें भरोसा ही नहीं है। यह बनाना होगा। पहले प्रेमी-प्रेमिका (जोड़े) इसे जोड़ेंगे फिर वह सब भी, जो धीरे-धीरे विश्वास करना सीख जाएंगे।
विश्वास, एक ऐसा शब्द जो कपड़ों का मोहताज नहीं रहना चाहिए। हमाम में सब नँगे होते हैं। मालूम है न? ~ Shubhanshu SC 2018©
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