Zahar Bujha Satya

Zahar Bujha Satya
If you have Steel Ears, You are Welcome!

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शनिवार, मई 19, 2018

कुछ लोग जो बदलने में शर्म महसूस करते हैं।

पुराना इर्ष्या करने वाला मित्र मिला कल।

मित्र: और आज कल क्या कर रहा है?

शुभ: समाज सुधार।

मित्र: 😂 क्या-क्या सुधार लिया अब तक?

शुभ्: खुद को सुधार लिया। अब उसके परिणाम सबको बताता हूँ। जो भी सुधरे हैं मैं उनकी गारंटी नहीं लेता। वैसे भी मैंने कोई ठेका नहीं लिया दुनिया बदलने का।  मेरा मन होता है तो उपाय बाँट देता हूँ। कोई अपनाए या नहीं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

मित्र: मतलब परिणाम शून्य है न? मैंने कहा है कि जीवन में कोई aim बना कर चला कर। ऐसे खाली समय खराब करता है। आदर्शवाद के चक्कर में तू चक्कर ही काटता रहेगा सारी जिंदगी और मैं मेज के नीचे से पैसा सरका के अपना काम निकलवा लूंगा।

शुभ्: भाई, मैं समझता हूँ कि आपने अपने घरवालों की लाखों रुपये की जमा पूँजी गलत व्यापार में बर्बाद कर के अपनी खटिया खड़ी कर ली थी और आज दहेज में मिली घाघरा चोली की दुकान चला रहे हो, साथ ही मैक्स न्यू लाइफ इंश्योरेंस के दलाल बने घूमते हो। महीने के 20-30 हज़ार कमा कर अपनी गर्भवती पत्नी के साथ जीवन में जूझ रहे हो।

मुझसे कहते हो कि कभी अकेले अपने दम पर कुछ करके दिखाओ, पिछले वाले सबकुछ को छोड़ कर। लेकिन नहीं बताते कि तुम्हारी समस्या क्या है?

मेरा सपना तो बेहतर जीवन जीना है। जो किसी मेरे जैसे भले इंसान के काम आए तो बेहतर लेकिन तुम बताओ क्या उद्देश्य है तुम्हारा? शादी कर चुके, बच्चे आ रहे हैं, उनको पालोगे, पढ़ाओगे, इलाज करवाओगे और क्या करोगे? बताओ?

ज्यादातर लोग तो खुद को मर्द और स्त्री साबित करने के लिये और सेक्स का घर में ही मुफ्त में इन्तज़ाम करने के लिए, कुछ दहेज के लालच में तो कुछ पति की कमाई मुफ्त में खाने के लिये विवाह करते हैं।

मित्र: ऐसा नहीं है। शादी का मतलब सिर्फ बच्चे पैदा करना नहीं है। बाकी भी नहीं है जो तुमने बताया।

शुभ्: फिर क्या है?

मित्र: तुम गलत हो।

शुभ्: कैसे?

मित्र: कुछ लोगों की तो शादी भी नहीं हो पाती है। यह होना भी किस्मत की बात है। भगवान् कि कृपा होती है तभी ऐसा हो पाता है। परमात्मा का अंश है आत्मा। यह न चाहे तो तुम कुछ भी नहीं कर सकते।

शुभ्: तुम किस्मत को मानते हो? तेजी से आती ट्रेन के सामने कूद जाना। आत्मा को भी? आत्मा किसी शरीर को चला रही है तो शरीर खराब होने पर उसे छोड़ क्यों देती है? कोई शरीर बिल्कुल बेकार हो जाये तब भी मनुष्य ज़िंदा रह लेता है, उसका शरीर आत्मा क्यों नहीं छोड़ देती? जबकि दिल का दौरा पड़ने से अच्छा खासा शरीर भी मर जाता है। आत्मा उसे चलाती थी तो दिल का क्या काम था? जो वह रुका तो मर गए?

बातों को बदल रहे हो तुम बस। अपनी ज़िंदगी झंड है और मेरी ज़िंदगी में बिन मांगे डण्डा डाल रहे हो। मै खुश हूँ और अपनी मदद खुद कर लेता हूँ यही काफी है। मुझे धन की कमी नहीं है। लेकिन मैं कभी दिखावा नहीं करता।

आपके रिश्तेदार की तरह पुण्य कमाने का दिखावा करने वाला नाटक भी नहीं करता। मुफ्त में खाना बाँट कर आप गरीबी नहीं खत्म कर सकते। आप और गरीब पैदा कर रहे हो। सोचो जो लोग अभी मेहनत से कमा कर खाते हैं, वे क्या मुफ्त का खाना देख कर कल से काम कर पाएंगे?

उनके हाथ पैरों में जंग लग जायेगी, फिर वे दोबारा मेहनत नहीं कर सकेंगे। वे चोर बनेंगे। अपराधी बनेंगे। आप लोग जो अपना काला धन ठिकाने लगाने के लिये यह पुण्य का दिखावा करते हो न, उसके भले ही मानसिक, धार्मिक या राजनैतिक कारण हो लेकिन आप बस देश को बर्बाद कर रहे हो। याद रखना, आप किसी को जीवन भर नहीं खिला सकते तो उसकी कमाने की आदत मत खराब करो।

जिस पर खाने को नहीं है उसे काम दिलाओ और नहीं दिला सकते तो उसे संघर्ष करने की हिम्मत दो। उसे अपाहिज मत बनाओ। उसे खड़ा होने का हौंसला दो। उसे चाहिए होगा तो वह फायदा लेगा और नहीं चाहिए तो आप गलत इन्सान के साथ खड़े हैं।

आप अनजाने में अपराध करके उसे अपना बेहतरीन कार्य बताते हो लेकिन याद रखो। अपनी गलती मानने वाला ही श्रेष्ठ होता है। वही बेहतर बन सकता है। आपने मेरी कोई गलती नहीं बताई। बस विरोध किया। आपने आलोचना नहीं की बल्कि नीचे गिराने, हतोत्साहित करने और निराश करने वाली बातें करके खुद को सही कहना चाहा कि बस अपना अस्थाई लाभ देखो।

जैसे बस यही सही है और मैं बड़ी-बड़ी बातें करना बंद करके आपके जैसा गधा बन जाऊँ जो बस वही कर रहा है जो एक आम अनपढ़/अबौद्धिक जानवर करता है जिसमें कोई प्रतिभा नहीं होती जिसका कोई और उद्देश्य नहीं होता जीवन का, सिवाय सिर्फ बच्चे पैदा करने के।

मित्र: बहुत देर हो गई मुझे घर जाना है। तुम गलत हो शुभाँशु और हमेशा रहोगे। 😀😂

इतना कह कर वह जला-भुना दोस्त अपने रास्ते चला गया। मैं भी खुद को गौरवशाली महसूस करता हुआ और उस बेचारे पर तरस खाता हुआ घर चला आया। ~ शुभाँशु जी 2018© (आप बीती)

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